Babita Sharma   (बबिता शर्मा 'नाज़')
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Joined 10 May 2018


Joined 10 May 2018
27 APR AT 5:47

मंद आँच पर धीमे-धीमे जितना पकते हैं
रिश्ते भी फिर चाय के जैसे खूब महकते हैं।।

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1 APR AT 22:08

अंतर्मन की सैर पर, निकलो सच के पाँव।
निश्चय ही मिल जाएगी,सुख की ठंडी छांव।।

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1 APR AT 15:44

बोये बीज बबूल तो, मिलें खार ही खार।
फल मिलता सबको यहाँ, कर्मों के अनुसार।।

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3 MAR AT 7:46

को समझ सका है कौन------मौन , मौन बस मौन।

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2 MAR AT 20:27

मुझको आदत नहीं निज दर्द बताने की,
मैं हर नब्ज़ समझती हूँ इस जमाने की।
रहेंगें ढके घाव खुदबखुद भर जायेंगें,
दिखाकर, न मोहलत दूँ नमक लगाने की।।

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12 FEB AT 21:05

गले लगाकर मुझको वो सारे दुख हर लेती है,
ना जाने ऐसा जादू माँ🧝🏼‍♀️कैसे कर लेती है।

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7 FEB AT 22:38

महक रहा है पन्ना पन्ना मेरे दिल की किताब का,
हर पन्ने पर लिखा हुआ है अक्षर तेरे नाम का।

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7 FEB AT 22:03

लो तुमने की गुजारिश तो बड़े हो गए हम,
सम्मुख रक़ीब के अदब से खड़े हो गए हम।

मुख में राम औऱ रखते बगल में छुरा,
ऐसे लोगों से कबके परे हो गये हम।

तपे बेहिसाब पीड़ा की अग्नि में नाज़,
तो कुंदन के जैसे खरे हो गये हम।।


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6 FEB AT 10:06

`मैं हूँ खुशनसीब गृहणी' का ख़ुमार उतर जाता है,
जो किसी रोज़ भोजन में नमक तेज पड़ जाता है।

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3 FEB AT 0:09

फूल की तरह खूबसूरत हर रिश्ता नहीं होता।
मात-पिता से बढ़कर कोई फरिश्ता नहीं होता।

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