Azeem Mehdi  
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Joined 2 July 2018


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16 NOV 2021 AT 15:02

हमारी दरियाओं से रिश्तेदारी थी
सेहरा हमसे पानी लेने आता था

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29 JUN 2021 AT 21:29

ख़याल तकीये के नीचे दबा के सोया हूं
ये कैसे कहदूं तेरी याद अब नहीं आती

तू सबकुछ जानता है तो मुझे बता मुर्शीद
क्यों मुझे रात भर नींद अब नहीं आती

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23 MAY 2021 AT 3:27

ये आखिर बार तुम्हे दिल से लिख रहे हैं खत
अरीज़ा फिर कभी दरिया में बहाएंगे नहीं

Ye akhir bar tumhe dil se likh rahe hain khat
Areeza fir kabhi dariya main bahayenge nahi

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19 MAY 2021 AT 23:58

एक कोहसारों से आ रहा था घर
एक जंगल से जा रहा था घर

और फिर दोनो रहगुज़र भी मिले
जिन्हे घर पे बुला रहा था घर

जिन दीवारों से टेक रखा खुद को
उन दीवारों से हिला रहा था घर

मैंने देखा उस रोज़ आंधी में
कैसे खिड़की हिला रहा था घर

और पामाल हो गया वो सब
जिनकी लाशे उठा रहा था घर

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10 MAY 2021 AT 6:25

जाम हाथो से अब अपने बनाएंगे नहीं
नशे में डूबे हो अब और पिलाएंगे नहीं,

तीरगी ऐसी उजालों में हमे कुछ ना दिखे
अब अंधेरों में चिरागो को जलाएंगे नहीं,

तुम में कुछ खास हुनर है तो बताओ ना हमें
ये राज़ राज़ है हम किसी को बताएंगे नहीं,

तुम्हारा दिल हो तो हमे बद्दुआएं भी देदो
मगर हम तुम्हे ज़र्रा बराबर सताएंगे नहीं,

खुद से हद पार करी है तो खुद अजाओ ना
इस रोशनदान को हम खुद से बुझाएंगे नहीं,

ये आखिर बार तुम्हे दिल से लिख रहे हैं खत
अरीज़ा फिर कभी दरिया में बहाएंगे नहीं,

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5 MAY 2021 AT 7:19

देखा है हमने आप से हीना तराश कर
रंगे बदल बदलती है वो रंग रात भर
आए हैं देखने को उन जुगनुओं को हम
कैसे गुज़ारते है वो संग रात भर



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22 JAN 2021 AT 13:46

उसकी निगाहें खुद ही शमा बुझा देती हैं
जब कभी होती हैं बे पर्द रात की बातें

Uski nigahein khud hi shama bujha deti hain
Jab kabhi hoti hai be-pard raat ki batein

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1 JAN 2021 AT 0:40

.....

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19 NOV 2020 AT 22:42

वो सारी रात में उस दर्द रात की बातें
पलट के आई हैं फिर सर्द रात की बातें

जो आंधियों में सुनाए थे अन कहे किस्से
वो सारी याद हैं वो गर्द रात की बातें

गर लड़कियां सुनलें तो घर से बाहर ना जाएं
कैसे - कैसे करते हैं मर्द रात की बातें

वो आसमां ने जब सुर्खियां बटोरी थी
बदल के रंग को वो ज़र्द रात की बातें

उसके हाथों को यूं हाथों में थामे हुए
कितनी प्यारी थी वो खुर्द रात की बातें

उसकी निगाहें खुद ही शमा बुझा देती हैं
जब कभी होती हैं बे पर्द रात की बातें

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31 OCT 2020 AT 1:27

मालूम ना था हमको ये सेहना ही पड़ेगा
इक दिन हमे तुमसे जुदा होना ही पड़ेगा

सुबह तो कट जाती है बस रात का डर है
अब रात को तन्हा हमे सोना ही पड़ेगा

होने भी लगी थी हमे उनसे भी मोहब्बत
वो जिनके बिना अब हमे रहना ही पड़ेगा

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