Avinash Kumar chanchal   (Avinash Chanchal)
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In between forgetting and remembering
Joined 9 February 2018


In between forgetting and remembering
Joined 9 February 2018
10 APR 2022 AT 23:07

उदासी लौट आती है
कभी कभी बहुत सारे सुख के साथ

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2 MAR 2022 AT 8:25

अपने घर से दूर गए लोग
बेहद डरे होते हैं!

उनसे प्यार करो!

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31 JAN 2022 AT 7:23

मेरे घर के नीचे एक किराना दुकान है! अकसर मैं अगर कहीं दूसरे दुकान से कुछ लेकर लौट रहा होता हूँ तो उससे नज़रें नहीं मिला पाता!

(अधूरी डायरी)

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14 FEB 2019 AT 11:14

लड़का प्यार में नहीं था

लेकिन

बहुत सारे प्यार का बोझ लिए चल रहा था

वो चाहता था
एक दिन

वो अपने बोझ को उतार फेंके


वो अब बस चाह भर सकता था

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11 JAN 2022 AT 15:27

आज एक आदमी से मिला. उनका परिचय देते हुए उनके दोस्त ने बताया ये ब्लू टिक हैं.
अचानक उस आदमी के चेहरे पर मुझे एक बड़ा सा नीला टिक दिखने लगा.

(अधूरी डायरी दिन 2)

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8 JAN 2022 AT 9:51

Everyone reach their destination

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5 JAN 2022 AT 1:07

तो रुक कर पूछूँ खुद से
भागते भागते थके नहीं क्या?

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4 JAN 2022 AT 8:31

I stopped social comparing

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4 JAN 2022 AT 8:30

ज़िंदगी निरंतरता के बिना कुछ भी नहीं

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3 JAN 2022 AT 19:33

Because we are too afraid to try new things

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