इस संसार की रीत से परे चाहती हूँ मैं तुम्हें तुम मानो ना मानो, मेरा सर्वस्व , मेरा सूकून ,मेरा सम्पर्ण मानती हूँ मैं तुम्हे। हमारा साथ होना ना होना भगवान जाने पर मेरी माँग तुम्हारे ही हाथों से सजे ये भोलेनाथ से हर रोज माँगती हूँ मैं।
तेरे नाम का मैं ताबीज बनूं, बस तेरे लिए ही दुआएं करू तेरी आवाज़ को सुन बिना , ना एक दिन मैं रह सकूं जो ना सहा मैंने कभी , तेरे गुस्से में कहे अपशब्दों को भी मैं सह सकूं और फिर भी अगर तू कहे कि , शायद मैं तेरा ना हों सकूं तो मैं इस जहां से खुद को हमेशा के लिएअलविदा कह सकूं ।।
लड़कियों ने हमेशा अपनी इच्छाओं की बलि ही दी है कभी अपनी इच्छाओं से समाज के लिए समझौता करके. कभी अपने प्रेमी से अपने पिता के लिए समझौता करके कभी अपने पिता से अपने प्रेमी के लिए समझौता करके। कभी तुम लड़की हो की बात का उलाहना देने वाली मां के लिए समझौता करके। कभी घर को घर बनाने के लिए घरवालों से समझौता करके। कभी रिश्तो को बचाने के लिए अपने पति समझौता करके।। कभी बच्चो के लिए अपनी ज़िंदगी से समझौता करके।। कभी अपने माता पिता के डर को खत्म करने के लिए अपने सपनो को खत्म करके । पर फिर भी एक लड़की उन दोनों घरों के लिए पराई होती है जिन दोनों घरों की इज्जत उस लड़की से ही जुड़ी होती है ।।
मुझे सूकून है कि वो बैठता तो सबके साथ है पर अपना सर सिर्फ मेरे कांधे पर रखता है ।। देखता होगा हज़ारों की फ़ोटो , पर ठहर कर सिर्फ मुझको ही तकता है ।। घूम आये चाहे सारा जहाँ, पर मेरी बाहों में ही थकता है ।। मुस्कुरा जाए भले हर किसी को देखकर पर अपने आंसू सिर्फ मेरे लिए रखता है ।।।