ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही
ये ह्रदय में कैसी हलचल है, किसने अंदर अवतार लिया ?
बस यही सोचकर जीवन भर, सारा जीवन बेकार किया
कब किसने मुझमे जीत चुनी, कब कोई मेरे पक्ष मे था
यह प्रश्न स्वयं से है मेरा, कब किसको मुझ से प्यार हुआ
मगर हमारे हर प्रश्नों का उत्तर मिलना मुश्किल है
सो हमने अपने प्रश्नों से एक ख्वाब सजाया अपना ही
ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही
मूल रत्न धन के चक्कर मे, प्रेम रत्न धन गवा दिया
हमने अपने टूटे दिल का स्वयं तमाशा बना लिया
सो अब हालत ऐसी है की बस आँखें बहती रहती हैं
कोई पूछे तो कह देता हूँ, जीवन अपना बहा दिया
और ऐसे मुर्दा जीवन का भी नाज़ उठाये फिरता हूँ ,
फिर इस जीवन के चक्कर में उठा दिवाला अपना ही
ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही
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