Ashish Gosain   (Ashish)
10 Followers · 4 Following

read more
Joined 13 December 2020


read more
Joined 13 December 2020
8 APR AT 22:03

कुछ इस तरह अधूरी ये कहानी रही….
कभी औरत को शिकायत रही कि वो उसे सँभाल ना सका, तो कभी मर्द को शिकवा कि वो उसे समझ ना सकी। तलाश मे थे बेहतर की दोनो, ना उसे सपनों का राजकुमार मिला, ना उसको अपने ख़्वाबो की राजकुमारी।

-


24 MAR AT 0:34

किसी फ़िल्म सी लगती थी कहानी मुझे मेरे प्यार की, की एक दिन आएगी याद उन्हें मेरे प्यार की। मैं बैठा रहा इस आस मे की वो वापिस आएँगे मेरे पास, ठोकर लगी तो होश आया हमदर्दी प्यार नहीं होती और माँग कर तरस मिलता है वो मोहब्बत नहीं होती।

-


24 MAR AT 0:03

बेशक तुम्हें प्यार नहीं मुझसे, हमे तो आज भी है। देख कर तुझे बाहों मे किसी और की हम मुस्कुरा सके, अभी इतना भी पत्थर दिल नहीं हुए।

-


23 MAR AT 23:59

वो पूछते है अब क्यों दर्द होता है, अब मैं तुम्हारी नहीं। उन्हें कैसे समझाये मोहब्बत वो आज भी है मेरी, बस वो किसी और की बाहों मे उसके रंग मैं रंगी है।

-


11 MAR AT 22:21

एक पल मे एक सदी का मज़ा हमसे पूछिए, दूजे पल मे उम्र भर की सज़ा हमसे पूछिए। भूलें हैं रफ्ता रफ्ता उन्हें मुद्दतों मे हम, किश्तों मे ख़ुदख़ुशी की सज़ा हमसे पूछिए। अग़ाज़ ए आशिक़ी का मज़ा आप लीजिए, अंजाम ए आशिक़ी की सज़ा हमसे पूछिए।

-


11 MAR AT 22:15

बिछड़ने का फ़ैसला उनका था, थाम कर हाथ किसी और का हिस्से मे उनके ख़ुशिया आयी। ना करना मोहब्बत किसी से बेइंतहा, हमे ये तन्हाई का सबक़ ही काफ़ी है।

-


8 MAR AT 17:11

मालूम होता है, भूल गया वो शक्स मुझे, अब नहीं ढूँढता हमे।
ग़र एक बार देख लेता मुड़ कर, उसी राह पर खड़े थे, हम इंतज़ार मे उसके।

-


5 MAR AT 23:33

तुमसे बिछड़ना क्या कम दर्द भरा था, जो अब ये गम भी सहना होगा, तन्हाई मे रोना होगा और महफ़िल मे मुस्कुराना भी होगा। तुमसे ग़र होगा सामना तो दबा कर ख्वाईश, गले लगाने की तुमको, तुमसे बस नज़रे मिला कर पास से गुज़र जाना होगा।

-


4 MAR AT 22:56

अधूरी मोहब्बत!

तुम छोड़ गये,मैं इस भीड़ मे अकेला रह गया।
बिखर कर टुकड़ों मे, हर दर्द मुस्कुराता हुआ सह गया।
संभल कर रहना, तुम दिल किसी से ना लगाना।
नाज़ुक हो तुम, टूट जाओगे, जुदाई का दर्द ना सह पाओगे।
बिखर कर “अधूरी मोहब्बत” मे, ए मेरी जान तुम तन्हाई मे घुटघुट कर मर जाओगे।

-


29 FEB AT 18:12

तुम समझोगी क्या?

बताऊ तुम्हें जो हालात अपने, तुम समझोगी क्या?
कहने को ठीक हूँ मैं, तुम मेरे कहे बिना मेरा दर्द समझोगी क्या?
माँ बाप बीवी बच्चे सब है पास, फिर भी क्यों तन्हा हूँ समझोगी क्या?
सब के साथ हस्ता हूँ, बात करता हूँ, फिर भी क्यों खुश नहीं समझोगी क्या?
बाहर से देखोगे तो सब अच्छा ही है, अंदर ही अंदर क्यों टूट रहा हूँ
तुम समझोगी क्या?

-


Fetching Ashish Gosain Quotes