ÄřÝå ✍🏻 ..   (✍🏻.._आदित्य_❣️)
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....९६८२८४६७३१
ॐ .अहम बनारसी..!
Joined 12 November 2019


....९६८२८४६७३१
ॐ .अहम बनारसी..!
Joined 12 November 2019
22 MAR 2022 AT 6:40

उसने खुलकर कुछ बोला ही नहीं,
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धोखा भी धोखे से दिया उसने...

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11 JUN 2021 AT 22:11

अहद-ए-वफ़ा
सुनाऊं अब मैं किसको ?
‘वत्स’ ये ख़ुदाई
दिखाऊं अब मैं किसको ?
जिन्हें ये वहम
वो कभी सोए नहीं हैं
ख़्वाबीदा बस्ती में
जगाऊं अब मैं किसको ?

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10 MAY 2021 AT 8:41

जलते थे जहां सपने,शहरी मसान थे
महंगी तराशी के,खोखले मकान थे
वो बस फूलों से,हमारा हाल पूछते रहे
हमारे जिस़्म पर,कांटों के निशान थे

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8 MAY 2021 AT 14:24

ख़ून आँखों में लिए,बवंडर टाल आया हूँ
उस साल खोया जो,इस साल आया हूँ,
बड़ी हिम्मत से,अपनी मौत पे रो पाया मैं
छुपके,दर्द तन्हाई ज़नाजे में डाल आया हूँ

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7 MAY 2021 AT 18:05

खिलौनों की बस्ती दूर से चमकती
कोई जाके इनके झूठे पर्दे हटाओ
नंगी है दुनिया,खुरदुरे सब चेहरे
ढॉंक दो इसे,फिर चादर बिछाओ

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6 MAY 2021 AT 14:00

चढ़ती सीढ़ीयों पर अनजान गया
उतरते उतरते सब जान गया..

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6 MAY 2021 AT 9:41

इस रब्त में जो रंग भरना चाहते थे
हममें तुममें फर्क करना चाहते थे,
हर तवक़्कुफ़ में जो घूरते थे निगाहें
मुमकिन है हद से गुजरना चाहते थे.

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5 MAY 2021 AT 12:55

थी ख़्वाब की जो ख़ुमारी सवेरों में
लौट आइ फिरसे तन्हाई अंधेरों में
क्यों लुट रहे थे ये ज़न्नत के दरिचे
जान पाता कैसे कोई उन लुटेरों में

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4 MAY 2021 AT 21:43

हां फ़िर,उसी अदा से कज़ा दीजिए
बहारों को आ जाने की,वजह दीजिए..
मैंने चुराया वो सब,जो भी मुमकिन था
कम से कम,उम्र कैद की सज़ा दीजिए

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4 MAY 2021 AT 10:03

घूरती ऑंखो में हंसी,तंज की ठिठोली है
अमानत थोड़ी है,जो किसी की हो ली है,
उनकी रूह में भी छोड़ आया हूँ ख़ुदको
अभी लब्ज़ बोले हैं,मोहब्बत कहॉं बोली है

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