ख़ुदको इतना भी मत बचाया कर
बारिश हो तो भीग जाया कर,
चांद लाकर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर,
धूप मायूस लौट जाती है
छत पर कपड़े सुखाने आया कर,
काम ले कुछ हसीन होंठों से
बातों-बातों में मुस्कुराया कर,
दर्द हीरा है दर्द मोती है
दर्द आंखों से मत बहाया कर...
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