Arma a   (ARMA)
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Joined 16 July 2020


Joined 16 July 2020
17 JUN 2021 AT 18:09

सब छोड़े सब याद करें,
दिल रब से जब फरियाद करें!

कैसे रोके फिर उसको अरमा
जो घर जाने की बात करें!

यहां तेरा मेरा किसने सिखाया,
भला ऐसा क्यों कोई जात करें!

हो जाता फिर काम भी आसान
जो बार-बार कोई रियाज़ करें!

हूं इसमें भी, शुक्रगुजार, तेरी रब
जो तू, बिन बादल बरसात करें!

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16 JUN 2021 AT 21:54

इंतज़ार करना, गलत नहीं बेशक!
फिर भी...
दिल चाहें, कोई इशारा उम्मीद हो।

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15 JUN 2021 AT 12:31

जिस भी चेहरे को देखूं, हो उसमें तुम नज़र आते!
फिर क्यूं नहीं तुम्हारी तरह, कभी तुम नज़र आते।

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14 JUN 2021 AT 14:19

पहले नींद गई फिर खाना छूटा,
और देखा प्यास भी उड़ने लगी!

मैंने सोचा कुछ पढ़ लूं ...तो

पहले प्यास लगी फिर खाना खाया
कुछ देर में नींद भी आने लगी!!

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13 JUN 2021 AT 20:00

जो खोना था, वह खो गया!
अब उसकी गिनती, करना क्या?

जो हो न सका कभी, यार मेरा !
इस बात पे उससे, लड़ना क्या?

राह मिले ना, जो मंजिल से!
उस राह चलकर, करना क्या?

जो ख्वाब सजाना चाहते हो!
तो अंजाम सोच के, डरना क्या?

हैं दफ़न किए, जिनसे भी अरमा!
बेशक जान गया वो, मरना क्या?

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12 JUN 2021 AT 21:20

बेशक, बहुत क़िरदार होंगे एक कहानी में,
हकिकी हर क़िरदार की अलग कहानी होगी!

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27 MAY 2021 AT 17:29

हर दो गज पे ठहर रहे हो.,
वाकी कोई उम्मीद है क्या?

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26 MAY 2021 AT 14:08

रहे दिल को उनसे शिकायत भले....पर,
संभलता भी उन्ही की आहट से है दिल!

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25 MAY 2021 AT 10:29

दुआ है तुम चमको जुगनुओ की तरह..,
हो साथ तुम्हारे अल्लाह नाम सहारे का!

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24 MAY 2021 AT 19:53

किसी को याद रखे वो कैसे.,
ख़ुद की ख़बर नहीं जिसको!

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