जो खोना था, वह खो गया!
अब उसकी गिनती, करना क्या?
जो हो न सका कभी, यार मेरा !
इस बात पे उससे, लड़ना क्या?
राह मिले ना, जो मंजिल से!
उस राह चलकर, करना क्या?
जो ख्वाब सजाना चाहते हो!
तो अंजाम सोच के, डरना क्या?
हैं दफ़न किए, जिनसे भी अरमा!
बेशक जान गया वो, मरना क्या?
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