Arif Khan   (©मोमिन गोरखपुरी)
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Joined 9 July 2018


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30 APR AT 8:24

अगर कोई शख़्स तुम्हें अकेला दिखे,
तो ये समझना के वो सच्चा है,
क्योंकि मुनाफ़िक़ के साथ,
हमेशा भीड़ नज़र आती है ... ।

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25 APR AT 2:13

किसी से पेहली सी मोहब्बत माँगे भी तो कैसे माँगे,
के अब रिश्ते बनाये नहीं, खरीदे जाते हैं...।

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25 APR AT 1:51

"और कभी दिल यही सोच के खुश हो जाता है की,
आज उसने भी यही चाँद देखा होगा जो मैं देख रहा हूँ.. "
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एक ही आसमां की चादर तले,
ना जाने ऐसे कितने अफ़साने पलते हैं,

किसी को यूँही मिल जाता है वो,
आँखों मे जिसका ख़्वाब लिए,
ना जाने कितने दिल मचलते हैं |

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15 APR AT 1:43

सिसक कर बयां करता रहता है वो हाल ए जिंदगी,
और दुनिया उसकी बातों पे वाह वाह करती है ...

नहीं होता कोई शायर जीतेजी मशहूर,
शोहरत भी उसकी मौत का इंतज़ार करती है |

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15 APR AT 1:03

चाहूँ तो पूछ लूँ के कुछ सिलसिले है भी, या नहीं है?
पर उनकी तेहज़ीब का हम भी ख्याल करते हैं,
ईद होती नहीं पूरी जब तलक वो मुबारके न दें,
उनसे दो लफ्ज़ का हम इंतज़ार पूरे साल करते हैं |

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7 FEB AT 22:55

मिलते नहीं मग़रूर यूँ ही रोज़मर्रा ज़िंदगी में,
ख़ुदा के सामने ये सब्र की आज़माइश् होती है... |

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7 FEB AT 15:53

लोग तोल देते हैं चंद बातों पे किरदार,
बात खुद की हो तो उन्हें ताराज़ू नहीं मिलता,

हर शक़्स 'अपना' बन जाता है अच्छे वक़्त में,
बुरे वक़्त मे रोने के लिए एक बाज़ु नहीं मिलता ...

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14 SEP 2023 AT 23:08

हर शक़्स लड़ रहा है,
कई जंग जिंदगी मे,
कोई बता देता है,
कोई सिर्फ़ मुस्कुरा देता है|

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7 SEP 2023 AT 1:12

आसाइशें मुहैय्या,
पर वस्ल की मुफ़लिसी ऐसी, कमबखत जाती नहीं,

क्या सुनाऊँ दास्ताँ उस पतंगे की,
तमन्ना ख़ाक होने की, पर शमां कोई जिसे जलाती नहीं,

ऐसे गयी एक रूह से तासीर ए रूमानी,
के कोई चाह, चाह कर भी दिल मे अब, आती नहीं |

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6 MAY 2023 AT 17:20

मुमकिन नहीं बयाँ करूँ मिदहत ए माहिरा,
मोआज़ज़् हैं माहिरा, मोहब्बत हैं माहिरा।

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