Aravind Patel   (Dr Romantic)
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Joined 30 April 2019


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Joined 30 April 2019
23 MAR AT 12:05

दिल ये नादान मेरा कुछ भी चाहता है,

प्रेमिका के साथ ऐसे होली खेलना चाहता है..❤️😅

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20 JUL 2023 AT 11:18

कई... साल गुज़र... गए,
कई... राज़ खुल... गए !

कुछ अपने... पराए हो... गए,
कुछ... पराए अपने हो... गए !

तुम्हें... चाहा था... शिद्दत से,
वो... किसी गैर के हो... गए !

मैं क्या? बताऊं... गालिब
आख़िरी... अल्फाज़ भी,
आख़िर... कहीं ग़ुम... हो गए !

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30 JAN 2023 AT 10:50

प्रेम की गुफ़्तगू धरी की धरी रह गयी,
दो पल की बहस ने सब खत्म कर दिया..!

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28 MAY 2022 AT 16:42

तुम्हारें मन में उमड़ते हज़ारों सवालों का,
इक चुपचाप जवाब होना है..

अभी नयी नयी आयी हो प्रेम गली में,
मुझे तेरे साथ पुराना होना है..

तुम्हारें सुनहरे ख़्वाब का,
मुझे हकीकत होना है..

तुम्हारें चेहरे के मुस्कुराहट,
नादानियों का,
मुझे वज़ह होना है..

तुम्हारें परेशानियों के सफ़र का,
मुझे तेरा हमसफ़र होना है..!!

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16 MAY 2022 AT 17:04

काफ़िलों में ज़िन्दगी..
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कृपया कविता अनुशीर्षक में पढ़े..

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27 APR 2022 AT 11:29

मेरे तक़दीर का कोई.. कभी किनारा ना हुआ,
बदलते रहे चेहरे पे चेहरे.. कोई हमारा ना हुआ..

है तपिस मुझमें इतनी.. कि सारा जहां जला दूं,
बस अपने ही घर में.. मुझसे उजाला ना हुआ..!

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22 APR 2022 AT 17:56

वो जो आई थी ज़िंदगी में बहार बनकर
ख़ंजर उसी ने मारा है ख़ास बनकर,

समझती है दुनिया उसे भोली भाली
उसी ने लूटा है मुझे बदमाश बनकर,

चलाया है उसने प्रेम का जादू मुझ पर
दिल तोड़ा है उसने कहर बनकर,

टूट चुका है मेरा जिस्म से रूह का रिश्ता
हाँ ! मैं ज़िंदा तो हूँ मगर लाश बनकर..!

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26 FEB 2022 AT 15:33

Congratulations💐 🎂🎂

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30 JUL 2021 AT 15:25

तुम्हारें कॉलेज की रंगीन लाइब्रेरी में
ना जाने कितने
इश्क़ मुकम्मल हुए..
ना जाने कितनी ही प्रेम कहानीयां
अधूरी रह गई..
तुम्हारा मेरे मेडिसिन के किताबों में
उसमें छुपे प्रेम पत्र की खुशबू
आज भी महसूस होती है..
तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहट का
यूं मेरा हंस के दीदार करना
सच में मेरा वो पागलपन था..
तुम्हारे बाहों में दिल के धड़कनों का संगम
मेरे बेचैन रूह को समाप्त
करते हुए तुम्हारे चुम्बन
सचमुच बहुत ही कातिलाना थे...!

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29 JUN 2021 AT 11:58

उसके खुशीयों के ख़ातिर उसे छोङ आया हूँ,
अपने माथे पर बेवफ़ाई का दाग ले आया हूँ..
फिर भी नहीं आने देता माथे पे, ज़रा सा सिकन्
क्यों मैं उससे दूर होकर रो आया हूँ..

उन लम्हों को वहीं छोङ आया हूँ,
उसके प्रेम को आंसुओं में क़ैद कर आया हूँ..
फ़िर भी मेरे दिल को वो सुकून नहीं,
क्यों मैं उसे अकेला छोङ आया हूँ

माना नाराज़ है वो मुझसे, आज मना आया हूँ,
उसके दु:खों को अपना बना आया हूँ..
माना वो थोड़ा गुस्सा करती है,
फ़िर भी उसे दिल की बातें बता आया हूँ..!

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