Anshu Anand   (अंशु)
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✍️बस लिख लेता हूँ..
Joined 8 May 2020


✍️बस लिख लेता हूँ..
Joined 8 May 2020
20 FEB 2022 AT 20:53

प्यास अब लगती नहीं मुझे
मुझे डर लगता है पानी से
वो पानी जो पारदर्शी है
जिसमें दिखता है मेरा अक्स
मेरी आँखें
और उन आँखों में तुम्हारा चेहरा
मैं सिर्फ़ शराब पीता हूँ..— % &

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1 FEB 2022 AT 1:07

तेरी हुस्न-ए-शय के दीदार में गर शाम हो भी जाये तो क्या
मेरी नजरें चंद रातों की तैयारी किये बैठे है.. — % &

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4 MAY 2021 AT 22:52

दिल्लगी की ख़्वाहिश को ख़्वाहिश ही रहने दे
ग़र याद आयेगी, इबादत तो होगी!
कभी जो मिल गया मंज़र-ए-ख़्वाब में उससे
नज़रें मिलेगी, कयामत तो होगी..

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5 OCT 2020 AT 10:26

कभी जो मैं संभल गया
तो टूट कर बिखर गया..
हवा का रुख किधर गया?
जो कह रहा था रात में
चलेगा मेरे साथ में..
ये रात भी हसीन है
मोह में विलीन है
चाँद की ये चाँदनी
मृषा के अधीन है
जुगनू जगमगा रहे
तारे टिमटिमा रहे
फूल हरसिंगार के
झर रहे जमीन पर
खुशबू का है यूँ असर
कि मंत्रमुग्ध हो गया
मुरौवत की आस में
थोड़ा क्षुद्र हो गया
रात की वो बात है
रात में वो याद है
पर हवा का रुख किधर गया?
जो कह रहा था रात में
चलेगा मेरे साथ में!

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16 JUL 2020 AT 9:24

अमावस की काली रातें
हल्की-फुल्की सी बरसातें
जब प्रणय गीत गाते-गाते
आँखों से अश्रु बह आते
पैरों में पहन पाजेब प्रिये
छन-छन करते तुम आ जाते
पायल की झनकार सुन
हम झूठ-मूठ का सो जाते
फिर मेहंदी वाले हाथों से
माथे को तुम मेरी सहलाते
तब झूठी करवट ले-लेकर
ऐसे ही तुम्हे हम भरमाते
फिर थोड़ी देर परेशां कर
यूँ झटपट हम उठ जाते
तब घनी अंधेरी रातों में
चलती प्यार भरी बातें..

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9 MAY 2020 AT 14:48

अंदाज़-ए-बयाँ क्या करूँ अपनी शख्सियत की?
चंद शख्स मेरे तानाशाही के दीवाने है..

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22 NOV 2020 AT 21:25

मेरी तन्हाई मुझे मयख़ाने तक ले आई..
फिर, एक जाम मुझे दीवाने तक ले आई..

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3 NOV 2020 AT 23:26

ताना ज़लालत का, सुन सुन के सहते हैं
हम तो पागल है, अपनी धुन में रहते है...

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18 SEP 2020 AT 18:18

मुक्कमल इश्क़ ना मंजूर ये ऐलान आज करते हैं,
तेरी मासूमियत को अब नज़रअंदाज़ करते हैं..

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14 SEP 2020 AT 21:54

यों ही ख़ुशनुमा नही शहर का हाल ग़ालिब,
सख्त सोने का घर-बार सजा रख्खे हैं..

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