Ankita pradhan   ("अरविता")
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वो चारों हैं पहचान मेरी..,
माँ-पापा ,कलम और डायरी।
Joined 20 July 2018


वो चारों हैं पहचान मेरी..,
माँ-पापा ,कलम और डायरी।
Joined 20 July 2018
3 DEC 2023 AT 13:14

मुस्कुरा जरा खुल के,भूल जा गुज़िश्ता,
कि ये ज़ीस्त नहीं जावेदां।
मुस्कुरा जरा खुल के,चुन सदा कांटों भरा रास्ता,
कि गुल-पोश राहों में चल के वो इशरत कहां।

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28 OCT 2023 AT 18:08

किताबों की महक का हम नशा करते हैं..,
महंगे नशे का शौक रखने वाला शायद ये दौर आखरी था।

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24 JUL 2023 AT 17:49

लाख कर लो शंखनाद हरी के द्वार,
गर मन में है लोभ,मोह,अहंकार,
होय न कभी उद्धार।

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23 MAR 2023 AT 23:05

कभी जीवन की नैय्या डगमगाती है,
तो कभी यूं ही किनारा मिल जाता है..।
धूप-छांव तो सबकी जिंदगी का हिस्सा हैं..,
मगर एक उम्र के बाद चुनौतियों का सैलाब उमड़ आता है..।
सर पे जिम्मेदारियां हजार लिए,पता नहीं कब बचपना चला जाता है।
पच्चीस की उम्र के बाद खुल के मुस्कुराना एक ख्वाब सा रह जाता है..।

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12 JAN 2023 AT 8:11

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3 JAN 2023 AT 8:10

मिलो गर कभी किसी टूटे हुए इंसान से..,
तो बैठ जाना थोड़ी देर पास उसके,
कोई रिश्ता ना सही इंसानियत के नाते।
मिलो गर कभी किसी टूटे हुए इंसान से..,
तो कर लेना दो चार बातें उससे,
कुछ और ना सही अजनबी होने के नाते।

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21 DEC 2022 AT 23:20

यूं ही बिन बात तुझ संग झगड़ना अच्छा लगता है।
माना अब बड़ी हो गई हूं..,
फिर भी बाजार में तेरी ऊंगली थामे चलना अच्छा लगता है ।
जान बुझ के गलती करना..,फिर तेरी डांट खाना अच्छा लगता है।
माना अब बड़ी हो गई हूं..,
फिर भी तेरे सामने बचकानी शरारतें करना अच्छा लगता है ।

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17 DEC 2022 AT 12:39

दुविधाओं से भरी है जिंदगी,
साहस देना हे मुरारी।
खुशियों की रौशनी हो,
गम की हो चाहे रात घनेरी,
धीरज देना हे गिरधारी।
उबड़-खाबड़ हो,
कांटों भरा हो चाहे सफर,
राह आसान ना बनाना तुम मेरी।
बस डगमगाए कदम जब कभी,
हिम्मत भरना हे बनवारी।

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16 DEC 2022 AT 0:32

लिख लेती हूं तेरी याद में कविताएं कई,
जैसे एक मां बच्चों की राह तकते,
बुन लेती है स्वेटर कई।
याद कर लेती हूँ रोते,मुस्कुराते
तेरे चेहरे के भाव कई,
जैसे एक माँ मेले में बिछड़े बच्चे की
कई साल तक उकेरती रहती है तस्वीरें कई।

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27 NOV 2022 AT 15:24

अच्छे दिनों में अहंकार ना करना,
हों बुरे दिन तो धीरज रखना।
दादी ने मेरी कहा था..,
मानव हो..पग-पग पर मानवता निभाना।

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