Anjana   (मृगतृष्णा)
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बस कुछ कल्पनाएं
Joined 19 February 2019


बस कुछ कल्पनाएं
Joined 19 February 2019
16 MAR AT 12:16

पर ये दिल मायूस है बहुत
जो ना किया,अफसोस है बहुत...

वक़्त के साथ बदल जायेगा सब
आज खड़ा कही, गुमनाम है बहुत...

सुखी आँखे है, सूखता गला है
शहर में पानी के दाम है बहुत...

जेबों में चिल्लर है भरे हुए
नोटों की गड्डियों को एतराज है बहुत...

देखते ही दौड़कर गले लगाता था
एक दोस्त था, आज अनजान है बहुत...

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18 NOV 2022 AT 13:17

स्वप्न वो पुल है,
जो मेरे और तुम्हारे
दरमियाँ खींची गई
समाज के
बे-बुनियादी दायरों से बनी
उफ़नती नदी पर
बनी है
हम बेपरवाह-बेझिझक-बेफ़िक्र
हररोज़ से मिलते है...

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30 OCT 2022 AT 10:02

बुझाने की चराग़-ए-लौ हरसू हवाएं हैं तैयार,
पर देखो, जलते शमा की परवाज़ बा-कमाल...

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16 SEP 2022 AT 23:45

Nati-natino ko Nani maa
(Jab vo nani ghr gye huye ho)

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25 JUL 2022 AT 11:00

Dekho mera kaam blood pump karna hai,
Faltu ke sawal-jabab hamase na karo.

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10 JUL 2022 AT 0:57

चीजें वक्त पर मिले तो ही बेहतर लगता है,
वक्त गुजरने पर मिले तो बेमतलब लगता है...

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7 JUL 2022 AT 23:23

कुछ बुरा हो रहा हो,
चाहे तुम्हारे साथ ही क्यों ना हो...
चुपचाप सहते जाओ
मुँह बंद रखो..

अगर देखी नहीं जाए रही हो बुराई
तो, अपनी आँखे बंद करो

फिर भी अगर उसकी चीख
तुम्हारे कानों तक पहुँचे
बेहिचक अपने कान बंद करो

पर तब भी उसका शोर
तुम्हारे कानों के पर्दे फाड़ रहा हो
तो भागो...जितना तेज़ भाग सकते
भागो...जितनी दूर भाग सकते हो
भागते रहो...तब तक
बुराई तुम्हारी निगाहों से
कोसो दूर ना चला जाए
उसकी आवाज़ किसी हालात में
तुम्हारे कानों तक ना पहुँच पाए

तुम बस याद रखो और यकीन रखो
अपने "शुतुरमुर्ग" होने पर...

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7 JUN 2022 AT 9:28

सुलझना है, तो किताबों में उलझो...

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4 MAY 2022 AT 21:09

लोग कह रहे, ईद आई और चली गई...
जाने किसे देख... सबों ने ईद मना ली...

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21 APR 2022 AT 1:49

ये रेगिस्तान,
ये रेत...ये रेतीली हवाऐं...

सांसों में रेत भर रही..
दम घुटता जा रहा...

गर्म थपेड़े जिस्म जला रही..
होठ सुख गए..गला सुख रहा..

और,
बेमुरव्वत ख़्याल..
मरीचिका बना रहा...

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