Anjali Thapliyal   (D.anjali)
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Girl from Uttrakhand , kotdwara
Joined 4 June 2019


Girl from Uttrakhand , kotdwara
Joined 4 June 2019
10 DEC 2022 AT 23:05

हूँ मै
ना जाने कितने लोगों का गुनेगार हूँ मै
इंशान हूँ भी या कोई कटपुतली हूँ
कुछ समझ नहीं पाता हूँ
आखिर कैसा हूँ मै
क्यू कुछ खामिया हैं मुझमे
इन्ही सवालो मे रोज उलझा हूँ मै......
क्यु अपने फायदे के लिए अपनों को ही धोका देता हूँ मैं
मुर्तकिब हूँ मैं
इंशान हूँ भी या कोई कटपुतली हूँ
कुछ समझ नहीं पाया हूँ मै
जिसने जैसा बेहकाया वैसे बेहक जाता हूँ
अपनो के ही जेहन-ए-जिस्म को बेच खाता हूँ
आखिर कैसा इंसान हूँ मै
सच इशान हूँ भी या कोई हेवान हूँ मैं

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10 DEC 2022 AT 22:57

हूँ मै
ना जाने कितने लोगों का गुनेगार हूँ मै
इंशान हूँ भी या कोई कटपुतली हूँ
कुछ समझ नहीं पाता हूँ
आखिर कैसा हूँ मै
क्यु कुछ खामिया हैं मुझमे
इन्ही सवालो मे रोज उलझा हूँ मै....
क्यु अपने फायदे के लिए अपनो को ही धोका देता हूँ मै
मुर्तबित हूँ मै
इंशान हूँ भी या कोई कटपुतली हूँ
कुछ समझ नही पाया हूँ मै
जिसने जैसा बेहकाया वैसे बेहक जाता हूँ
अपनो के ही जेहन- ए- जिस्म को बेच खाता हूँ
आखिर कैसा इंशान हूँ मै
सच इंशान हूँ भी या कोई हेवान हूँ मै


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26 NOV 2022 AT 23:33

परियों की कहानियाँ सुनी जहा
वो जहां अब बेगाना लगता है
खुशियों की चेहेक चेहकी जहा
वो घोसला अब पराया लगता है
अंदाज आपकी बेरूखी का ए खुदा,
समझ नहीं आता है .....
आखिर क्यु आपने ,
हम बेटियों के नसीब -ए- ख़िताब मे ,
बाबुल का घर छोड़ जाना लिखा है ...

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26 AUG 2022 AT 23:13


फिजाओं मे बेहकती शाम हो तुम
मेरे केहने को हमसफर मेरे हृदय मे बसे प्राण हो तुम

बिता वो वक्त बीते वो लम्हे
डलती हर शाम का प्यारा एहसास हो तुम
मेरे केहने को हमसफर मेरी धड़कन हो तुम .....

खिलखिलाती मुस्कुराहट
हस्ते गाते वो पल ,रंगीन राते और रातों मे तुम
तारों भरा वो आसमा और मुस्कुराते हुए तुम
टिमटिमाती रात की चाँदनी हो तुम
मेरे कहने को हमसफर मेरी जिंदगानी हो तुम



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21 AUG 2022 AT 21:31

जो हर कण मे है समाया
उसको क्या परिभाषित करू मै
कोई कहे यशोधा का नंदलाल
कोई कहे गोकुल का ग्वाल
किसी के हो तुम श्याम
तो किसी के हो काल
कैसे पाऊँ मै तुमको कान्हा
इसही दुविदा मे दिन रात उलझी हूँ
तुम बिन अधूरा है सब, मै प्राण हार बैठी हूँ...

जो हर कण मे है समाया
उसको क्या परिभाषित करू मै
जिसको समाज ने ठुकराया
उसको मेरे कृष्ण ने है अपनाया
कैसे करू मै उसे परिभाषित
जिससे स्वयंम हूँ मै परिभाषित.......

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6 AUG 2022 AT 5:26

कभी थी चेहरे पे मुस्कुराहट मेरी भी
कभी थी खिलखिलाहट चेहरे की पेहचान मेरी
आज गुम है उनके ख्यालों खुवाबों मे कहीं
कोई मुझे मेरी वो पहचान लौटा दो
कोई मुझे मेरे कान्हा से मिलवा दो ......



मै बावरी सुध बुध हारी
हरि नाम से सुरु दिन की सुरुआत मेरी
हरि नाम पे खत्म ये कहानी मेरी
कोई मुझे मेरे कान्हा से रूबरू करवा दो
कोई मुझे मेरे कान्हा से मिलवा दो



मैं मीरा जैसी दिवानी ना थी पहले कभी
ना जाने क्या जादूगरी है सूरत में उनकी
जब से देखी है सीरत गिर्धर की ,
हर मुरत मे दिखती है सूरत उनकी
कोई मेरी फरियाद मेरे कृष्ण तक पहुँचा दो
कोई मुझे मेरे कान्हा से मिलवा दो

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4 AUG 2022 AT 5:57

ना जाने क्यों ये तूफ़ाँ कहीं रुकता नहीं
ना जाने क्यों ये समाज आज भी हमें जीवन जीने नहीं देता
है सिर पे ना जाने कितनी कुर्बानियों का बोझ दफन
आज भी हज़ार बेड़ियाँ है हम बैटियों के नसीब मे
ना जाने क्यों ये समाज ये मान नहीं लेता..........
कोई ना सही तुम तो समझते
आखिर तुम्हारी भी तो बहने है
हमारी एहमीयत तुम तो समझते
कुछ रिश्तों का मोल तुम भूल चुके हो
समझते हैं हम ,भागम भाग मे कहीं भटक चुके हो तुम
जानते है हम
हमारे चरित्र पे सवाल उठाने से पहले
एक बार सोच तो लेते
कुछ ना सही कम से कम
माँ की ममता तो याद रखते तुम ....... .........
हम ना होते तो माँ ना होती माँ ना होती
तो तुम ना होते
ना होती बहु बेटीयाँ तो ये संसार पुरा ना होता
कुछ नहीं सब कुछ अधूरा होता
हर पल हर लम्हा मातम होता ..... ......
तुम कहते हो तुम्हारी सलामती के लिए तुमपे
नजर रखते है
ये दिल बिखरता है हमारा तुम्हारी ऐसी बातो से
तुम ये मान क्यों नहीं लेते




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31 JUL 2022 AT 3:52

मैं कुछ लिखना भी चाहूँ तो लिख ना पाऊ
इतने ऐहशान हैं माँ तेरे मुझपे
वो बचपन की लोरी वो मेरा यूँ सो जाना आज भी याद है मुझे
तेरा यूँ प्यार से मुस्कुराना और मेरा भी नींद मे हस्ना
परियों की तरह सी थी कुछ जिंदगी मेरी
कहीं ना कहीं तेरी बदौलत ही थी सारी खुशियाँ मेरी

मै कुछ लिखना भी चाहूँ तो लिख ना पाऊँ
तेरी ममता के आगे हैं फिके अल्फाज़ मेरे
इतने ऐहशान हैं माँ तेरे मुझपे

लिखती हूँ कभी मिठाती हूँ काग़ज पे जज्बात- ऐ- जिंदगी के
रूठे- रूठे हैं अल्फाज़ मेरे
बिखरे बिखरे से हैं खुवाब दफन कहीं
डर लगता है माँ कहीं खो ना दूँ तेरी यादों की दास्ता अधूरे खुवाब की तरह ...
तेरा होना ही सबसे बड़ा तोहफा है मेरा
तेरे होने से ही सारी खुशियाँ हैं आंगन मे रूबरू मेरे
तुझसे ही है ये जहाँ ये किनारा मेरा...............


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26 JUL 2022 AT 13:07

तू..
ये दुनिया है जालिम, ठोकरे देगी तुझे
तू हिम्मत होसले रखना बुलंद
आज अगर सूरज डूबा है तेरा तो कल फिर सवेरा होगा ही .....

मंजिलों के राश्ते मे कांटे तो सभी के आते हैं
इन काटों की आदत डाल ले तू
काटों पे भी चलना है तुझे ,ये तू ठान ले

यही हौशला रख अपने मन मे तू
इंशानियत से बड़ी कोई दौलत नहीं
कुछ लोगों के लिए तू अपनी वो इंशानियत ना खोए
कोई ऐसा रास्ता तू अपनी तरक्की का निकाल दे
की रोकने वाला जल के राख हो जाए
और तेरी मन की कोमलता का भी वो कुछ बिगाड़ ना पाए...

कुछ लोगों की आदत होती है उड़ते हुए को जंजिरों मे कैद करके रखना
तू जीतने की हिम्मत रख
तू इतना जल की तेरी तपन से वो लोहे की जंजिर भी पिगल जाए
और तुझे उड़ता देख रोकने वालों की नियत बदल जाए...

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20 JUL 2022 AT 13:11

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