Anjali Gupta   (Aradhana)
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Joined 18 April 2020


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19 AUG 2022 AT 12:36

कृष्ण की दीवानी तो हर घर मे है,
पर कृष्ण समाये हर कण-कण मे है।
कृष्ण से ही मनोहर होता हर आंगन है,
कृष्ण की बंसी मे समाये सारे सुर है।
कृष्ण ही चित चोर है,कृष्ण ही नटखट,
कृष्ण ही रासराचिया है,कृष्ण ही प्रेम है।
कृष्ण ही पालनहार, कृष्ण ही जगदीश है,
कृष्ण नाम मे समाया ये सारा संसार है।

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17 AUG 2022 AT 17:51

तुम्हारे नाम की बिंदी,
इस माथे पर सजेगी तो क्या खूब लगेगी।
तुम्हारे नाम की मेहंदी,
इन हाथो पर सजेगी तो क्या खूब लगेगी।
तुम्हारा हाथ जब मेरे हाथो,
में होगा तो क्या खूब लगेगा।
तुम्हारा नाम मेरे नाम,
से जुड़ेगा तो क्या खूब लगेगा।
जब तुम हमारे और हम तुम्हारे,
होंगे तो क्या खूब लगेगा...!!!!

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6 JUN 2022 AT 13:19

कर जरा कोशिश अपने प्यार पर फिरसे ओ बन्दे,
कर जरा कोशिश अपने प्यार पर फिरसे ओ बन्दे;
सुना है आज कल तेरा प्यार भी अकेला है।
जैसे तू अकेला है उसके बिना,
कही दूर दराज़ मे वो भी हो अकेला तेरे बिना।
कर ले एक कोशिश फिरसे,
बना ले इस दिल को फिरसे उसी का दीवाना;
क्या पता इस बार की बाज़ी उस खुदा ने खुद तेरे लिए बनाई हो...!!!!

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12 MAY 2022 AT 9:06

इश्क़ के रंग हज़ार है।
कोई बिना मिले इश्क़ कर लेता,
तो कोई मिलकर भी ना कर पाता...
कोई सालों तक एक तरफ़ा प्यार मे रहता,
तो कोई दो तरफ़ा भी ना कर पाता...

इश्क़ के रंग हज़ार है।
कोई ज़िस्म के लिए तड़पता,
तो कोई रूह तक को छु जाता...
हर किसी का अपना इश्क़ है,
हर किसी का अपना अंदाज़ है;
बस यही है इश्क़ कि दास्ताँ,
पर इसमे बाकि अभी कई नये पड़ाव है..!!!

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5 MAY 2022 AT 18:30

रात से लड़ाई ही है,

कोशिशे की मनाने की उनको...
पर माने ही नहीं...सुनते ही नहीं,
बात कोई बड़ी कहाँ हुई...
पर फिर भी रात से लड़ाई ही है।

हमने हर तरह से समझाया उनको,
पर समझे ही नहीं...सोचते ही नहीं...
बात कोई खत्म कहाँ हुई,
बस इसलिए रात से लड़ाई ही है।

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3 MAY 2022 AT 17:16

अपराधबोध का शिकार हो जाता हूँ,
दिन भर खुद को उसी दरिया मे पाता हूँ।
बात तो करना चाहता हूँ,
पर अब कर नहीं पाता हूँ।
इस दिल को समझा नहीं पाता हूँ,
अपराधो के दलदल मे रोज़ खुद को पाता हूँ।
क्या कहूँ किस किससे कहूँ,
इसी सब मे उलझ कर रह जाता हूँ।
अपने इन जज़्बातों को खुद मे ही छुपा जाता हूँ,
पता नहीं हर बार मे खुद को अपराधी क्यों मान जाता हूँ।
अपने दिल का हाल भी मे अब किसी को सुना ना पाता हूँ,
और इसी तरह हर बार मे अपराधबोध का शिकार हो जाता हूँ....!!!

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10 MAR 2022 AT 22:32

मुश्किल है मेरा तुझे अपना बनाना ...
चाहता हूँ मै की तू सिर्फ मेरी हो,
तेरे दिल के दर्द को समझ रहा हूँ मै...
मजबूर बन रहा हूँ मै,
तुझे दुखी देख खुद भी...
कहाँ खुश रहता हूँ मै,
मनाना नहीं आता मुझे घरवालों को...
बस इतना ही बुरा हूँ मै,
इसलिए ना चाहते हुए भी...
दिल को दुखाते हुए भी,
तुझसे सारे रिश्ते तोड़ रहा हूँ मै..... 🥺🥺

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23 FEB 2022 AT 13:46

गुजरते हुए उस गली से एक बार को हम थम गए,
गुजरते हुए उस गली से एक बार को हम थम गए।
गली की यादों का सिलसिला सामने आ गया हम थम गए,
उनसे जिनसे की नहीं सालो से मुलाक़ात....
आज वो मुलाक़ात याद करके हम थम गए,
उन सभी यादों को याद करके हम कुछ पल वही थम गए।
पर कब तक रुकते शख्स तो जा चुका था,
और हम भी अब थमना भूल गए.....!!!!


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31 JAN 2022 AT 17:46

अगर तुम मुझे पहले मिले होते,
तो कितना कुछ बदला हुआ होता।

कितनी खुशियों को हमने मिलकर बटोरा होता,
कितने ही पलों को हमने साथ मे जिया होता।
गलतियों का पलड़ा थोड़ा कम भारी होता,
समझदारी का हिस्सा थोड़ा ज्यादा होता।

खुश हूँ मिल गए तुम....!!!

अब राहों मे चलना आसान लगता है।
यादो को बनाना अब आसान लगता है।
ज़िन्दगी मे रंग भरना मजेदार लगता है।
आगे का सफ़र सोचकर अच्छा लगता है।— % &

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31 JAN 2022 AT 17:04

अल्फाज़ बहुत कम है कहने को,
पर जैसे भी है प्यारे है....


तुम हमारे हो और हम तुम्हारे है...!!!

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