तू आ मिल किसी रोज़ ख़ल्बत में..देखना क्या क्या है मेरी नियत में...जो भी कहना हो मेरे सामने कहना..क्या रखा है गीबत में...एक तू था जिसे दिल में बसाया था हमने..लोग रास्ता तक छोड़ देते हैं हमारी दहशत में...गैरों की बातों का इतना असर हुआ..बुराईयां निकल आयी हमारी सीरत में...कोई हमें क्या खरीदेगा “अनीस" ..हम बिकने वाले नहीं किसी भी कीमत में... -
तू आ मिल किसी रोज़ ख़ल्बत में..देखना क्या क्या है मेरी नियत में...जो भी कहना हो मेरे सामने कहना..क्या रखा है गीबत में...एक तू था जिसे दिल में बसाया था हमने..लोग रास्ता तक छोड़ देते हैं हमारी दहशत में...गैरों की बातों का इतना असर हुआ..बुराईयां निकल आयी हमारी सीरत में...कोई हमें क्या खरीदेगा “अनीस" ..हम बिकने वाले नहीं किसी भी कीमत में...
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अश्क आंखों में हैं मेरी, ये मेरी पहचान है..मीलों दूर हूं मैं उससे, घर के पास उसके मेरा मकान है...बहुत कुछ पास है मेरे मगर किस काम का..उसके बिना तो मेरी दुनिया वीरान है...जानता हूं उसके लिए मैं कुछ भी नहीं हूं...पर मेरे लिए तो वो मेरा सारा जहान है...मेरी वफाओं का सिला दिया उसने ये कहकर...झूठा भी बहुत है वो और बदज़बान है...कुचला है दिल मेरा कुछ इस तरह उन्होंने..हर कोने पर दिल के ज़ख्म का निशान है...छोड़ा है जबसे उसने अपने “अनीस" को...ना सांस है आती ना बाकी जान है... -
अश्क आंखों में हैं मेरी, ये मेरी पहचान है..मीलों दूर हूं मैं उससे, घर के पास उसके मेरा मकान है...बहुत कुछ पास है मेरे मगर किस काम का..उसके बिना तो मेरी दुनिया वीरान है...जानता हूं उसके लिए मैं कुछ भी नहीं हूं...पर मेरे लिए तो वो मेरा सारा जहान है...मेरी वफाओं का सिला दिया उसने ये कहकर...झूठा भी बहुत है वो और बदज़बान है...कुचला है दिल मेरा कुछ इस तरह उन्होंने..हर कोने पर दिल के ज़ख्म का निशान है...छोड़ा है जबसे उसने अपने “अनीस" को...ना सांस है आती ना बाकी जान है...
तू चला तो सही मेहनत का तीर चलाने वाले..लग ही जाते हैं निशाने पे तीर निशाने वाले....कोशिशें तमाम करता हूं हमेशा आगे बढ़ने की..शाजिशें तमाम करते हैं मुझको गिराने वाले...मुझे आज भी नींद बहुत अच्छे से आती है..सिर पर मेरी मां के हाथ हैं सुलाने वाले...एक मैं था जो घर अपना देखकर रोया..बहुत खुश थे घर मेरा जलाने वाले...गरीबों के हक में बातें तो बहुत होती हैं..बस बातें ही करते हैं सरकार चलाने वाले...घर आए मेहमान को भगवान समझा जाता था..अब कहां हैं वो लोग पुराने वाले...होती हैं बहुत नेमते मां बाप की दुआओ में..कभी आबाद नहीं रहते दिल इनका दुखाने वाले...बात बिन बात हस्ते रहा करो “अनीस"..बहुत लोग हैं तुझको रुलाने वाले... -
तू चला तो सही मेहनत का तीर चलाने वाले..लग ही जाते हैं निशाने पे तीर निशाने वाले....कोशिशें तमाम करता हूं हमेशा आगे बढ़ने की..शाजिशें तमाम करते हैं मुझको गिराने वाले...मुझे आज भी नींद बहुत अच्छे से आती है..सिर पर मेरी मां के हाथ हैं सुलाने वाले...एक मैं था जो घर अपना देखकर रोया..बहुत खुश थे घर मेरा जलाने वाले...गरीबों के हक में बातें तो बहुत होती हैं..बस बातें ही करते हैं सरकार चलाने वाले...घर आए मेहमान को भगवान समझा जाता था..अब कहां हैं वो लोग पुराने वाले...होती हैं बहुत नेमते मां बाप की दुआओ में..कभी आबाद नहीं रहते दिल इनका दुखाने वाले...बात बिन बात हस्ते रहा करो “अनीस"..बहुत लोग हैं तुझको रुलाने वाले...
अश्क को पानी, पानी को शराब लिख दूंगा..तू आ, पास बैठ तो सही तुझपर किताब लिख दूंगा...जो भी हो तेरे मन में वो लिख भेजना..मैं तेरे हर सवाल का जवाब लिख दूंगा....तू मेरी थी, मेरी है, और मेरी रहेगी..अगर बदली जरा भी तो नियत ख़राब लिख दूंगा...तुझको अपना बनाने की खातिर क्या क्या खोया है अनीस ने..तू पूछ तो सही मैं सारा हिसाब लिख दूंगा... -
अश्क को पानी, पानी को शराब लिख दूंगा..तू आ, पास बैठ तो सही तुझपर किताब लिख दूंगा...जो भी हो तेरे मन में वो लिख भेजना..मैं तेरे हर सवाल का जवाब लिख दूंगा....तू मेरी थी, मेरी है, और मेरी रहेगी..अगर बदली जरा भी तो नियत ख़राब लिख दूंगा...तुझको अपना बनाने की खातिर क्या क्या खोया है अनीस ने..तू पूछ तो सही मैं सारा हिसाब लिख दूंगा...