हैं वाहिद अंदर तो मुझे एहसास दिलाओ,, माफी मांग लूं मेरे मैले दिल में कब से हो।। एक इशारा करते तो बुहार कर साफ़ कर देती।। औलाद है तुम्हारे गलती सुधारने का मौका दो।।
शिक्षा प्रमाण पत्र दान में नहीं मेहनत से मिले,,, उनपर रस्क होने से मेहनत को संबल मिले।।। जब भी देखती हूं मैं उन्हें उच्छवास निकलती है, काश फिर एक मौका हमे फिर पढ़ने का मिले।।
वक्त बदल गया संस्कृति भी बदल रही ,, दारु पीने वालों की वकालत नहीं कर रही।। दारू में दोष नहीं जितना पीने वाले की होती है।। पीने और न पीने वाले की नीयत की बात होती है।