साथ चलते -चलते भी दोराहे पर आते ही रास्ते जुदा हो सकते हैं हाथ पकड़े -पकड़े भी दूरियां आते ही अलविदा कह सकते हैं दरअसल रास्तों की दूरियों से रिश्ते नहीं नापे जा सकते हैं दिलों में नज़दीकियां हों तो दूर हो कर भी लोग साथ हो सकते हैं ...
लोगों की नफ़रत जला देती है समाज के सौहार्द को झुलसा देती है अपनेपन और प्यार को मुमकिन है कि लोगों की नफ़रत भी मोहब्बत में बदल जाए अगर शान्ति से आपस में बातचीत कर समस्याएं सुलझाई जाएं ...
समय कम है तो क्या हुआ अगर काम होना होगा तो कम समय में भी हो जाएगा नहीं होना होगा तो एक जीवन भी कम पड़ जाएगा, दरअसल समय के कम या ज्यादा होने से कहीं ज्यादा ज़रूरी है सही समय का होना इसलिए समय कम है तो क्या हुआ बस समय सही होना चाहिए...