Akshay Borole   (@kshay ฿orole)
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Joined 19 February 2018


Joined 19 February 2018
15 DEC 2022 AT 1:24

कितनी दफा देख लिया,
क्या है! खबर तुझको??

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20 JAN 2021 AT 21:38

"ती भीति"

​​​​प्रेमा नी बोलींन!​
​​भीति वाटते जर लागेल ​त्या ​सवय ची...

​जवळ ही घेईन!
​भीति वाटते जर परत तू दूर जाय ची...

मिठीत ​ही घेईन!
​भीति वाटते जर तू नसता एकांतात रहाय ची...

​हातात हात ही घेईन!
​​भीति वाटते जर परत ते हात सुटाय ची...

​​आपल्या पुढील जीवना ची पाहु स्वप्न!
​भीति वाटते! भीति वाटते ग! परत स्वप्न तुटाय ची.​​..

मिळेल सार तुला!! ​
​पण हे सार परत घडणार नाही..
ही ​खात्री पटवून साथ देशील का मला?????????

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17 SEP 2020 AT 13:56

हमारी मोहब्बत पर इतनी इनायत हो,
​मेरे ​दिल के कैदखाने की तू क़ैदी हो,
​और ना ही कभी तेरी जमानत हो...​

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7 MAY 2020 AT 18:27

आज तक ज़िन्दगी का,
​हर एक मसला सुलझ गया है,
​​जब भी बात आयी! ​इंसान के
"चेहरे के ऊपर का चेहरा"
पहचानने की, ​यारो!
यहाँ पर हर कोई उलझ गया है।

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6 MAY 2020 AT 12:43

​​बदलते रिश्ते, बदलते लोग, बदलती आदतें,
​​यह तो हर दौर की एक नयी पहचान होती है,
​​​​सफर में अगर साथ रहना ही है तो​,
बस! ​​इन चीज़ो को हर दौर में समझने में,
​अभी! कुछ दिन और लगेंगे.!

​जरा वजह! तो बता देना खुद को बदलने की,
जरा ​खता! तो बता देना मुझसे जो हुयी है,
​तेरे खातिर खुद को भी बदल देंगे हम,
​बस! इन चीज़ो को हर दौर में बदलने में,
​अभी! कुछ दिन और लगेंगे.!

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6 MAY 2020 AT 12:23

जीना तो में भी चाहता हु ज़िन्दगी का हर पल तुम्हारे साथ,
​​​​​बस एक गौर! करना उस पर जो बात हम बताना चाहते है,
​​रिश्तों की शुरुआती दौर! में सब के इरादे "नेक" ही होते है,
​जाने क्यों ​"ख़त्म करते वक़्त​ अक्सर​ वो इरादे बदल जाते है"।

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5 MAY 2020 AT 22:42

एक बात कहु! सुनो तेरी याददाश्त कमजोर है, मुझे खुद से ही चुराने वाला तेरा दिल ही एक चोर है,
​फ़र्क आज भी कुछ नहीं!!​ मेरे दिल की धड़कन आज भी तु है और,​इस दिल की धड़कन में आज भी तेरा ही शोर है।

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4 MAY 2020 AT 22:03

याद करो!
एक वक़्त था ! कभी हम भी गुजरे थे तेरे कूचे से,
बड़े ​बे-आबरू हो कर,
तभी तुमने तो साथ दिया ही नही..

अब क्यों ये उम्मीद लिए आये हो,
की किसी मोड़ पर
हम मिल जाये..

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4 MAY 2020 AT 18:36

चाँद-सितारो को उन आसमाँ तले जुगनू-औ,
​सब को मे आज एक शाल में लपेटने वाला हु,
​रौशनी को अँधेरे में तब्दील कर के यारो!
​में आज अपनी मेहबूबा से लिपटने वाला हु।

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2 MAY 2020 AT 17:57

दबी-दबी सी थी जो कई दीनों से वो दिल की बात,
इस शाम वो बात कहने का अब "समय" आ गया है,
ऐ मेरे दिलदार संभल कर रखना तू अपने जज्बात,
अब करने इज़हार-ऐ-मोहब्बत ये "अक्षय" आ गया है।

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