बदलते रिश्ते, बदलते लोग, बदलती आदतें,
यह तो हर दौर की एक नयी पहचान होती है,
सफर में अगर साथ रहना ही है तो,
बस! इन चीज़ो को हर दौर में समझने में,
अभी! कुछ दिन और लगेंगे.!
जरा वजह! तो बता देना खुद को बदलने की,
जरा खता! तो बता देना मुझसे जो हुयी है,
तेरे खातिर खुद को भी बदल देंगे हम,
बस! इन चीज़ो को हर दौर में बदलने में,
अभी! कुछ दिन और लगेंगे.!
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