रेत सी फिसली....
पानी सी बही....
यही हवा का वेग हुईं....
यही प्यास हुईं....
यही भुख हुईं....
यही दोस्ती....
और यही दुश्मनी का शिकार हुईं....
यही मोहब्बत....
यही दर्द....
यही मलहम हुईं....
हारी तो गम....
जीती तो खुशियों का ताज हुईं....
कभी आसान हुईं....
कभी मुस्किल हुईं....
ये जिंदगी है मुरशद....
आज मेरी हुईं तो कल तेरी हुईं....
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