Akanksha Singh   (Akanksha Singh)
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Novice at writing ✍️
Peddler in the streets of thoughts ❤️❤️
Joined 3 April 2018


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Peddler in the streets of thoughts ❤️❤️
Joined 3 April 2018
29 MAY 2022 AT 21:54

फ़ासले बहुत तो नहीं थे दरमियाँ,
बस एक दूसरे की ओर चलना छोड़ दिया हमने।
💔

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27 MAY 2022 AT 11:48

चाहे ज़ाहिर न करो सरेआम पर,
कभी करीब आकर कानों में फुसफुसा दिया करो कि
"इश्क़ है तुमसे"।
♥️

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26 MAY 2022 AT 15:29

तुम्हारे खामोश लफ़्ज़ों को सुनना,
शांत चेहरे को देखना, अपलक,
शौक से ज़्यादा ज़रूरत है मेरी,
सोचती हूँ कि कतरा-कतरा ही सही,
एक दिन तुम्हें शायद पूरा समझ जाउंगी।
🖤

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25 MAY 2022 AT 16:52

अँधेरों में लोग छुप सकते हैं..
उनकी शख्सियत नहीं।
💙

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25 MAY 2022 AT 13:21

जब कोई बात नहीं होती, तो तुम्हारा ज़िक्र होता है,
जब तुम्हारा ज़िक्र होता है, तो फिर कोई और बात नहीं होती।
💞

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22 MAY 2022 AT 13:25

मेरा और तुम्हारा मिलना बिल्कुल वैसा ही था जैसे बारिश के बाद इंद्रधनुष का खिलना,
"ख़ूबसूरत पर क्षणिक"।
🌈

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22 MAY 2022 AT 13:18

अल्फ़ाज़ों से इतर भी बहुत कुछ कहना था तुमसे,
पर इत्मिनान है मुझे, तुम समझ न पाते।
🌸

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23 APR 2022 AT 10:07

Let your ego die of hunger,
But do not forget to feed your self-respect.
💜

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20 APR 2022 AT 11:14

किसी का उजला सवेरा बनते-बनते खुद की काली रात मत बन जाना,
थोड़ा इश्क़ खुद से भी कर लो यार, दूसरों से इश्क़ में हार मत जाना।
🌸🍀

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9 APR 2022 AT 22:04

अलग-अलग है अंदाज़-ए-बयां दर्द का यहां,
कोई चीख रहा उससे, कोई घुट रहा उसमें।
🍁🍂

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