akanksha pandey   (© वेणु)
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Joined 25 July 2017


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Joined 25 July 2017
5 MAY AT 18:35

जब कम थे तो काफ़ी थे
अब भरे हैं तो अनगिनत कमियों के स्वामी हैं।
नयन नक्श जो कल तक गहरे नशीले थे
आज एकदम से पानी है।
पता नहीं ये पैसों की मार थी, या जरूरत ही बस काफ़ी थी।

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10 MAR AT 2:10

कड़वे सवाल सिर्फ तीखे जवाब के ही हक़दार होते हैं, वरना शक्कर भी जब ज्यादा घुल जाए तो, उसी मीठे से परहेज करना सीखना पड़ता है। बस इतनी सी ही हक़ीक़त सीखनी होती है या यूं कहें कि याद रखनी पड़ती है जीवन में मिले रिश्तों में या फिर ज़िंदगी में घुले रिश्तों में ताकि तालमेल का अनुपात पूरा वृतांत समझने के लिए काफ़ी हो।

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14 FEB AT 21:06

देखो आज चांद भी लाल है , नजाने किसका इंतेज़ार है।

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10 FEB AT 10:52

कुछ बातों का सच इतना कड़वा होता है कि उनका जिक्र भी, आग फैला सकता है।

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6 FEB AT 23:13

अच्छा हुआ कि फासलों में तब्दीलियां होती गईं , वरना हालात इश्क़ के बयां करते करते उम्रें निकल जाती।

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31 JAN AT 22:56

मेरे मरहूम इश्क़ की दास्तां कुछ ऐसी है कि, मर्ज आज भी इलाज़ ढूंढ रहा है।

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31 JAN AT 8:31

Faces with–
the brightest smile
the loudest laughs
Have the deepest grief sunken beyond your muscles
And the irony is —they are the best cheerleader of your life
Irrespective of the fact that tears roll down when you find no one around.
Sulky pillows
Messy room
Dizzy busy lifestyle
Running at the best speed
But deep down failing every second to realise that worth cost of being alive for everyone surround.
Mascot has been put on ,
for the show to the next level
One will hardly realise what costs them for this grand showdown.

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24 JAN AT 12:51

घाट-घाट का पानी पीकर जब मरघट तक जाता हूँ,
कुछ जलती, कुछ बुझती लाशों पर,
लोगों को आँसू बहाते देखता हूँ।

माना कि मौन है वो आँखें
जिनकी सांसें अब भी चलती हैं।
ख़ामोश हुई जो बातें उनकी
फ़िर भी जिक्र कभी न थमती हैं।

आज़ाद फ़िज़ाओं के बाशिंदें फिर लौट कभी न आना तुम
आज इरादा पक्का है कल कैसा किस्सा बन जाऊँ मैं
ये वक़्त भी नहीं बतलाता है।
फ़िर कोई वादा न कर ख़ुद से
ख़ुदा भी ख़फ़ा ख़फ़ा सा हो जाता है
घाट-घाट का पानी पीकर जब मरघट को जाता हूँ।
कुछ जलती, कुछ बुझती लाशों पर,
लोगों को आँसू बहाते देखता हूँ।

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9 JAN AT 22:49

मौसमों की जंग तो देखो –इन्हें हर बार लगता है हद से ज्यादा कहर ढाने से मिजाज बादल के बदल जाएंगे,
भला कौन समझाए इनको की हादसे ज़िंदगी का सबक होती हैं, आदतें नहीं।

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8 JAN AT 12:21

लोग सच्चे हों तो कितने अच्छे लगते हैं,
मैंने मासूमों को भी दिल तोड़ते देखा है।

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