शहेर से निकल गांव को चले , धूप से निकल छांव को चले , दुनिया देख कर जले तो जले , हम एकदूजे का हाथ थाम कर चलते चलें , हम आपस में आहिस्ता - आहिस्ता चले , कभी अलग ना हो हम , कभी अकेलेपन की कमियां ना खले , बनावटी’पन से निकल , हम तो अपने पुराने जमाने को चले , वही पुरानी यादें वही पुराना प्यार हम अब कमाने को चले,
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