ختم جب بزم ہوتی ہے اکیلے رہ جاتے ہیں چراغوں کے اجالوں میں اندھیرے رہ جاتے ہیںمحبت کے کناروں پر چلا ہوں میں بس لیکنلہریں کھینچ لیتی ہیں مد ہوش رہ جاتے ہیںوحشت کے ساغر میں ڈوبا ہوں تب سمجھاسویرے چھوڑ جاتے ہے اندھیرے رہ جاتے ہیںاکیلا تو یہ اک تنکا، کہاں تک یہ تیرے گاپتہ تو ہے مسافت کا، مسافر رہ جاتے ہیںکہوں گا میں اک افسانہ،لگے گا جو نہ بیگانہپتنگے کٹ جاتی ہے، بس مانجھے رہ جاتے ہیںشاعر تو یہ کہتا ہے محبت سچ میں ہوتی ہےقلم بھی بک جاتے ہیں، لفافے رہ جاتے ہیں" احمد شیراز" -
ختم جب بزم ہوتی ہے اکیلے رہ جاتے ہیں چراغوں کے اجالوں میں اندھیرے رہ جاتے ہیںمحبت کے کناروں پر چلا ہوں میں بس لیکنلہریں کھینچ لیتی ہیں مد ہوش رہ جاتے ہیںوحشت کے ساغر میں ڈوبا ہوں تب سمجھاسویرے چھوڑ جاتے ہے اندھیرے رہ جاتے ہیںاکیلا تو یہ اک تنکا، کہاں تک یہ تیرے گاپتہ تو ہے مسافت کا، مسافر رہ جاتے ہیںکہوں گا میں اک افسانہ،لگے گا جو نہ بیگانہپتنگے کٹ جاتی ہے، بس مانجھے رہ جاتے ہیںشاعر تو یہ کہتا ہے محبت سچ میں ہوتی ہےقلم بھی بک جاتے ہیں، لفافے رہ جاتے ہیں" احمد شیراز"
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ये जो उसकी हवाओं पर इस तरह परवाज़ है !बुझने से पहले फड़फड़ाते हैं चिराग अक्सर !! अहमद शीराज़ -
ये जो उसकी हवाओं पर इस तरह परवाज़ है !बुझने से पहले फड़फड़ाते हैं चिराग अक्सर !! अहमद शीराज़
अब मुझे किसी की तलाश नहीं!खुद को तुम मे खो चुका हू में!!मनो मन मिट्टी के नीचे मे हू दफ्न!चेन की नींद अब सो चुका हूं में!! अहमद शी राज़ -
अब मुझे किसी की तलाश नहीं!खुद को तुम मे खो चुका हू में!!मनो मन मिट्टी के नीचे मे हू दफ्न!चेन की नींद अब सो चुका हूं में!! अहमद शी राज़
सभी को छोड दिया मेने। बस कुछ दोस्त बाकी़ है।।मुहब्बत छोड दी मेने।वफाए अब भी बाकी है।।खामोशी छाई रहती है।।गूंज फिर भी बाकी है।।हो गया है। "तरक-ऎ-जाम"। नशा अब भी बाकी है।।नही मुनकिर वफाओ का।इक़रार अब भी बाकी है।।जुदा मुझ से नही लेकिन। ख़ला फिर भी बाकी है।। ना सही 'नज़र-ऎ-करम' । 'नज़र-ऎ-इनायत'बाकी है।।जिगर ज़ख्मी हे लेकिन। जि़कर् में नाम बाकी है।।नही का़यल बगावत का। इन्क़लाब फिर भी बाकी है।। ना आएगा कोई झोंका।।अभी तूफान बाकी है।। अधूरा हे यह अफसाना।। अभी कई "राज़" बाकी है।। अभी दिलदार बाकी है।अभी हमराज़ बाकी है।। अहमद शी-"राज़" -
सभी को छोड दिया मेने। बस कुछ दोस्त बाकी़ है।।मुहब्बत छोड दी मेने।वफाए अब भी बाकी है।।खामोशी छाई रहती है।।गूंज फिर भी बाकी है।।हो गया है। "तरक-ऎ-जाम"। नशा अब भी बाकी है।।नही मुनकिर वफाओ का।इक़रार अब भी बाकी है।।जुदा मुझ से नही लेकिन। ख़ला फिर भी बाकी है।। ना सही 'नज़र-ऎ-करम' । 'नज़र-ऎ-इनायत'बाकी है।।जिगर ज़ख्मी हे लेकिन। जि़कर् में नाम बाकी है।।नही का़यल बगावत का। इन्क़लाब फिर भी बाकी है।। ना आएगा कोई झोंका।।अभी तूफान बाकी है।। अधूरा हे यह अफसाना।। अभी कई "राज़" बाकी है।। अभी दिलदार बाकी है।अभी हमराज़ बाकी है।। अहमद शी-"राज़"
याद तो उसको आती होगी!!कभी तो मेरा नाम लेता होगा!! -
याद तो उसको आती होगी!!कभी तो मेरा नाम लेता होगा!!
सितारों से तेरी तस्वीर बना कर!ऐसे भी बहलाता हूं दिल को अक्सर!! -
सितारों से तेरी तस्वीर बना कर!ऐसे भी बहलाता हूं दिल को अक्सर!!
मेरे कमरे मे होता हे ग़मों का बसेरा!मेरे दर पे खुशीयों का आना मना हे!! अहमद शी-राज़ -
मेरे कमरे मे होता हे ग़मों का बसेरा!मेरे दर पे खुशीयों का आना मना हे!! अहमद शी-राज़
मे ये केसे केह दु कुछ हुआ ही नहीं!क्या आइने से कोई बात छुपाई गई हे!! -
मे ये केसे केह दु कुछ हुआ ही नहीं!क्या आइने से कोई बात छुपाई गई हे!!
तुम कह दो कि तुम हमारे!! ________हाए'हाए'हाए!! -
तुम कह दो कि तुम हमारे!! ________हाए'हाए'हाए!!
आप की, बातें, यादें, मुलाका़ते!अलविदा, अलविदा, अलविदा!! अहमद शी-राज़ -
आप की, बातें, यादें, मुलाका़ते!अलविदा, अलविदा, अलविदा!! अहमद शी-राज़