Adarsh Baghel   (अव्यय)
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꧁ ℕ𝔸𝕍𝕆𝔻𝔸𝕐𝔸ℕ ꧂
𝙵𝚛𝚘𝚖 ~ 𝚂𝚊𝚝𝚗𝚊
Joined 14 April 2020


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𝙵𝚛𝚘𝚖 ~ 𝚂𝚊𝚝𝚗𝚊
Joined 14 April 2020
1 JAN 2022 AT 22:28

मेरी आंखों से ओझल होता उसका चेहरा,
मेरे नसीब से सारी खुशियां ले गया।

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11 OCT 2021 AT 11:23

लोग पूछते हैं आजकल कम क्यों लिखा करते हो,
जो लिखते भी हो उसमें गम क्यों लिखा करते हो।

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1 OCT 2021 AT 13:32

सुबह इतनी जल्दी थी उन्हें कि वो अपना बटुआ तक भूल गए,
बटुआ देखा तो समझ आया कि इतनी जल्दी क्यों थी उन्हें।

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30 SEP 2021 AT 23:23

मेरे यार का महबूब मिले तो पूछूंगा जरूर
किस रब से दुआ मांगी थी उसे पाने के लिए ।

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29 SEP 2021 AT 23:01

कहां मिला वह प्राणदीप जिसके सपनो में खोया था
जिसकी यादों में सालों तक मैं निश्छल होकर रोया था।

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28 SEP 2021 AT 22:46

हर मौसम मैं जिसके लिए जलता रहा
वो किसी और का घर रोशन करता रहा
‘अव्यय’ ताउम्र जिसपे मरता रहा
वो किसी और से वफा करता रहा।

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27 SEP 2021 AT 19:20

इक दिन आओगे लौटकर इन्हीं दरख़्तों की छांव में,
जब मिट जाएगा गुरूर और छाले पड़ जाएंगे पांव में।

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26 SEP 2021 AT 20:19

हाथों में आज भी जले का निशान बाकी है
आज भी मेरी जान में,मेरी जान बाकी है।

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25 SEP 2021 AT 22:56

“सुना है शहर छोड़कर जा रहे हो
बताना जरा तुम किधर जा रहे हो
आंखों में आंसू मेरे भर के ‘अव्यय’
किसे अब रुलाने उधर जा रहे हो।”

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25 SEP 2021 AT 9:10

“यादों का भी अपना मजा है,
यादों में भी नशा है।”

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