मेरी आंखों से ओझल होता उसका चेहरा, मेरे नसीब से सारी खुशियां ले गया। -
मेरी आंखों से ओझल होता उसका चेहरा, मेरे नसीब से सारी खुशियां ले गया।
-
लोग पूछते हैं आजकल कम क्यों लिखा करते हो,जो लिखते भी हो उसमें गम क्यों लिखा करते हो। -
लोग पूछते हैं आजकल कम क्यों लिखा करते हो,जो लिखते भी हो उसमें गम क्यों लिखा करते हो।
सुबह इतनी जल्दी थी उन्हें कि वो अपना बटुआ तक भूल गए, बटुआ देखा तो समझ आया कि इतनी जल्दी क्यों थी उन्हें। -
सुबह इतनी जल्दी थी उन्हें कि वो अपना बटुआ तक भूल गए, बटुआ देखा तो समझ आया कि इतनी जल्दी क्यों थी उन्हें।
मेरे यार का महबूब मिले तो पूछूंगा जरूर किस रब से दुआ मांगी थी उसे पाने के लिए । -
मेरे यार का महबूब मिले तो पूछूंगा जरूर किस रब से दुआ मांगी थी उसे पाने के लिए ।
कहां मिला वह प्राणदीप जिसके सपनो में खोया थाजिसकी यादों में सालों तक मैं निश्छल होकर रोया था। -
कहां मिला वह प्राणदीप जिसके सपनो में खोया थाजिसकी यादों में सालों तक मैं निश्छल होकर रोया था।
हर मौसम मैं जिसके लिए जलता रहा वो किसी और का घर रोशन करता रहा‘अव्यय’ ताउम्र जिसपे मरता रहा वो किसी और से वफा करता रहा। -
हर मौसम मैं जिसके लिए जलता रहा वो किसी और का घर रोशन करता रहा‘अव्यय’ ताउम्र जिसपे मरता रहा वो किसी और से वफा करता रहा।
इक दिन आओगे लौटकर इन्हीं दरख़्तों की छांव में, जब मिट जाएगा गुरूर और छाले पड़ जाएंगे पांव में। -
इक दिन आओगे लौटकर इन्हीं दरख़्तों की छांव में, जब मिट जाएगा गुरूर और छाले पड़ जाएंगे पांव में।
हाथों में आज भी जले का निशान बाकी हैआज भी मेरी जान में,मेरी जान बाकी है। -
हाथों में आज भी जले का निशान बाकी हैआज भी मेरी जान में,मेरी जान बाकी है।
“सुना है शहर छोड़कर जा रहे होबताना जरा तुम किधर जा रहे होआंखों में आंसू मेरे भर के ‘अव्यय’किसे अब रुलाने उधर जा रहे हो।” -
“सुना है शहर छोड़कर जा रहे होबताना जरा तुम किधर जा रहे होआंखों में आंसू मेरे भर के ‘अव्यय’किसे अब रुलाने उधर जा रहे हो।”
“यादों का भी अपना मजा है, यादों में भी नशा है।” -
“यादों का भी अपना मजा है, यादों में भी नशा है।”