वक़्त की अजमाइश
भी अजीब है,
क्योंकि यह सिर्फ
खाव्हिश ही रह गयी है,,
कभी तो बहुत सताएगी,,
और कभी
बहुत ही समजाइश देगी,,
लेकिन वक़्त का क्या है?
किसी को सही वक़्त पर
सब दे जायेगा,
और किसी को वक़्त आने पर
भी कुछ नहीं दे पायेगा,,
यक़ीन खुद पर हो तो भी
'निराशा' तो हाथ आयगी ही
क्योंकि "कहावत" है!
वक़्त अभी आया ही नहीं तेरा,
इंतजार कर कुछ
"वक़्त"
अभी भी बाकी है तेरा।
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