अभय आर कौशिक  
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Joined 28 February 2020


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नाम कितनों का लिंखू
मैं इस 5 सितंबर को
हर कोई तो
कुछ ना कुछ सिखाता ही है......

"Dr. सर्वपल्ली राधाकृष्णन"
जी की जयंती पर नमन एवं
आप सभी को शिक्षक दिवस
की हार्दिक शुभकामनाएं

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लोग कहते हैं
आज हम और तुम एक समान हैं.....
कल थे नहीं,आज हैं आगे तुमसे बेहतर होंगे
पर जो भी होंगे पुरुष सत्तात्मक सोंच वाले
पुरुषों के लिए खिदमत हम कभी ना होंगे
हम 26 अगस्त जैसे एक विशेष दिन के लिए
ही विशेष बिल्कुल ना होंगे.....
हम विशेष थे,हैं और हमेशा रहेंगे....
किसी की मां किसी की बहन
और किसी की बेटी
तो हम वर्षों से हैं
पर हम अब बॉस, अफसर और मंत्री बनकर
अपना हक खुद के दम पर लेंगे....
हम विशेष थे, हैं और हमेशा रहेंगे....

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आजकल उन्हें
सबमें रब दिखता है......।।
अरे पता
करो रेे बाबा
कहीं चुनाव तो नहीं
आने वाला........।।

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आजकल सबको खटकने लगा हूं मैं......
बातों बातों पर सबसे झगड़ने लगा हूं मैं....
पर असलियत बस इतनी सी है
बेरोजगार होकर भी सच बोल देता हूं मैं.....।।।
उन्हीं की भलाई में उन्हीं से ही झगड़ लेता हूं मैं....
सच कहूं तो
आजकल सबको खटकने लगा हूं मैं.....
बातों बातों पर सबसे झगड़ने लगा हूं मैं....


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जब हम दोस्तों
का काफ़िला
चाय की टपरी पर
हर रोज मिला करता था
जिसमें
चाय तो हर रोज पी लेता हूं मैं
पर आे टपरी वाली चाय की चुस्कियां
और दोस्तों का काफ़िला
ना जाने कब नसीब होगा........😒😒

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हमें आप जैसे
इंसान
का दोस्त कहलाने में.....


हमें आपके धार्मिक
कट्टरता के
चक्कर में
आपसी मनमुटाव
हो जाने में.....

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लिखा था मैंने १० मई को अपनी जिंदगी के सबसे
अहम जोड़े के एक किरदार को
जिसे मेरे कलम बयां ना कर पाए
पन्ने भी कम पड़ गए
मां की बेइंतहा दुलार को लिखते समय मेरे
आज २१ जून जब मैंने उस दूसरे
अहम किरदार को लिखना शुरू किया
पापा के गुस्से में झलकते प्यार को लिखना शुरू किया
बचपन में पड़े डंडे से संवरते
मेरे भविष्य को लिखना शुरू किया
रूह भी हिला गई उनकी पुरानी दास्तां
..
जिन्हें झेल कर उन्होंने मेरी जिंदगी सवारीं है..
आखिर एक दिन विशेष ही क्यों है उनके लिए......
जिन्होंने हर दिन मेरा खास बनाने में
अपनी पूरी जिंदगी गुजारी है........
अभय नास्तिक

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भी इंसान


भी इंसान
फिर


धर्म के आडम्बर क्यों महान.....???

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