सुनी सुनी राह है देखो,
सुना सुना मंजर है।
लाशों के लगे ढ़ेर है देखो,
ना तलवार ना खंजर है।।
इधर खबर अभी खत्म भी ना थी,
उधर खबर आ जाती है।
हर चैनल दुखी खबर दिखाकर ,
मन विचलित कर जाती है।।
गोली सुई वैध डाक्टर
सबके हाथ पड़े खाली।
कभी जला रहे घर में दीपक,
कभी बजा रहे सब थाली।।
रिश्ते नाते दूर हो गये
दूरी ही अब बनी दवा।
कमरों में सब बंद पड़े हैं,
नसीब नहीं अब खुली हवा।।
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