सुनो!
तुम मुझे इक ख़त लिखना!
तुम बोलते हुए झिझकते हो!
मेरी गलियों में आके ठिठकते हो!
अपने एहसासों के कागज़-कलम रखना!
सुनो!
तुम मुझे इक ख़त लिखना!
इंस्टंट, डिजिटल, 4G वाला नहीं,
बहोत ही पुराने ज़माने का इश्क़ है मेरा!
चैट, ईमेल, फ़ोन कॉल्स,
इनसब को इतर रखना!
सुनो!
तुम मुझे इक ख़त लिखना!
एफिडेविट करा कर रखूंगी उसे!
जैसे मेरी तस्वीर संभाल रखी है तुमने,
मैं भी फ्रेम करा कर रखूंगी उसे!
कुछ देना ही चाहो, तो मुझे वही तोहफ़ा करना।
-