Abhijeet Sharma  
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Joined 23 August 2018


Joined 23 August 2018
27 MAR 2022 AT 9:00

सुनो!
तुम मुझे इक ख़त लिखना!
तुम बोलते हुए झिझकते हो!
मेरी गलियों में आके ठिठकते हो!
अपने एहसासों के कागज़-कलम रखना!
सुनो!
तुम मुझे इक ख़त लिखना!

इंस्टंट, डिजिटल, 4G वाला नहीं,
बहोत ही पुराने ज़माने का इश्क़ है मेरा!
चैट, ईमेल, फ़ोन कॉल्स,
इनसब को इतर रखना!
सुनो!
तुम मुझे इक ख़त लिखना!

एफिडेविट करा कर रखूंगी उसे!
जैसे मेरी तस्वीर संभाल रखी है तुमने,
मैं भी फ्रेम करा कर रखूंगी उसे!
कुछ देना ही चाहो, तो मुझे वही तोहफ़ा करना।

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1 FEB 2022 AT 22:34

क्यों रुलाती है तू
वो भी उन पलों में
जब हंसने का जी करता है
बस इसीलिए ना की
क्यूंकि तू जिन्दगी है
वक्त भी तेरा
तारीख भी तेरा
इजहार भी तेरा
तकरार भी तेरा
सपने भी तेरा
और सपनो को
पूरा करने की जिद भी तेरा
बस इसीलिए ना की
क्योंकि तू जिन्दगी है
तुझे छोड़ने का दिल करता है
तुझसे हर नाता तोड़ने का दिल करता है
तुझसे मुंह मोड़ने का दिल करता है
"परन्तु" नही छोड़ सकता
तुमसे मुंह मोड़ नही सकता
बस इसीलिए
क्योंकि तू जिन्दगी है


— % &

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23 APR 2021 AT 21:37

वक़्त हिसाब माँगता है अब खुद से
क्या खोकर क्या पाया है
पर देना कौन चाहता है
सब अपने ही तकल्लूस् मे खोए है

रिश्ते बनाने है सबको
पर निभाना कौन चाहता है
वक़्त हिसाब माँगता है खुद से
क्या सोचकर अपना बनाया है
पर बताना कौन चाहता है

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30 JUL 2020 AT 21:48

ये बारिश भी ना
एक दम मोहब्बत के जैसी है।
जब नही होती है तो लोग तरसते है
इश्क़ के जैसे होती है धीरे धीरे
लोग एन्जॉय करते है धीरे धीरे
लोग जब गोता लगाना स्टार्ट करता है
वही पानी उसे डुबाना स्टार्ट करता है
निकल जाती है धोखा देकर
सब अरमानो को तोड़कर
फिर वही सुबह वही शाम
वही लोग वही अरमान
उफ़्फ़ ये बारिश भी
बड़ी बेवफा होती है
किसी का न सगा होती है
ये बारिश भी ना🤔

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6 JUL 2020 AT 15:21


चाँद दिख नही रहा
शायद आज अमावश की काली रात है
पिछले कुछ दिनों से ही
ये बाग की रोशनी कम होती जा रही थी
फूलो की चमक घटती जा रही थी
पूछने पर पता चला
चाँद अपना रूप बदल रहा है।
मेरे मुँह से अनायास ही निकला
लोग क्यों बेकार चाँद की तारीफ़ करते है।
जो हमेशा बदलते है
कुछ तो जरूर बात है
चाँद दिख नही रहा
शायद आज अमावश की काली रात है

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1 JUL 2020 AT 21:16

पढ़ सको तो पढ़ लो तुम
ज़िन्दगी की परिभाषा।
माध्यम है आंसू कभी इज़हार का
माध्यम है आंसू कभी अत्याचार का
माध्यम है आँसू कभी ब्यभिचार का
माध्यम है आँसू कभी भावविचार का
मत करो विस्वास आँसू पर
ये है एक पर रंग है इनके अनेक

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30 JUN 2020 AT 22:03

मुझे जरूरत नही छातो की
क्योंकि छातो से केवल सर ढकता है।
पैर जमीन पर रहने से कम से कम
तृप्त तो हो जाता है
जो दिल और दिमाग को नसीब नही होता।
मुझे जरूरत नही छातो की
क्योंकि दिल दिमाग दोनो को
हमेशा की तरह साफ और स्वच्छ रखना है
अनमोल रत्न रूपी, प्राकृत देन जो धरती पर
आने से पहले तक दूषित नही होता।
इसका अपना अलग ही महत्व है।

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21 JUN 2020 AT 20:42

ये कैसी बेबसी है
जो दिल से आ लगी है
हो चुकी है सत्य के पास आकर असत्य
या असत्य के पास आकर सत्य
समझकर भी नासमझ है दिल
जो समझ दिल से आ लगी है
विश्वास नही होता विस्वास पर
यकीन नही होता यकीन पर
सही है पर सही नही
गलत है पर गलत नही
ये कैसी बेबसी है
जो दिल से आ लगी है

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20 JUN 2020 AT 21:32

तुम क्या जानो
किसने किसका चेहरा ओढ़ रखा है
हर झूठे कसमो के पीछे का राज
हर झूठे वादों के पीछे छुपे हुए राज
उसके चमकते ढके चेहरे का राज
हर हसीं के पीछे छुपे वो कातिल राज

कभी समझ भी पाओ तो
खुद को समझ नही आता
कभी भूलने की कोशिश करो
वो यकीन , यकीन ही नही होता
उसके झूठे चेहरे के पीछे का वो राज
समझ कर भी समझ नही पाता
तुम क्या जानो
किसने किसका चेहरा ओढ़ रखा है


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31 MAR 2020 AT 0:07

ये लव यू वाला प्यार नही है
जो कोई तोड़े तो कोई बात नही
ये इश्क़ वाला प्यार नही
जो कोई तोड़े तो कोई बात नही
ये जानू वाला प्यार नही
जो कोई तोड़े तो कोई बात नहीं
हमने लाख समझाया था
इश्क़, मोहब्बत, जानू तक ही रहता
तो कोई बात नही

जिस्म से जिस्म मिलाना तेरा प्यार था
मुझे हर बात के लिए मना लेना तेरा प्यार था

तुम शायद होती आज मेरे पास
अगर समझाया न होता
जो लोग आज गलत समझ रहे हैं
उनके मान सम्मान को देखा ना होता
मैं भी पागल नही होता अगर
दो जिस्म एक जान मिला नही होता

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