𝑨𝒂𝒔𝒉𝒏𝒂 💚   (Anu Ja)
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Joined 27 May 2020


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12 FEB 2023 AT 21:32

इश्क़ और हुस्न दोनों मदहोश हो गए
जब तुम मुझ से हम-आग़ोश हो गए

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8 FEB 2023 AT 22:39

इस दिलकश रात में तुम बिन कैसे गुज़ारा होगा
दिल ने तेरे भी मुझ को आज तो पुकारा होगा

कि जब-जब देखूंँ मैं आईना तू ही नज़र आता है
सोच कर मुझको तुमने भी ख़ुद को निखारा होगा

ऊपरवाले का भी अंदाज़-ए-गुमाँ कुछ और होगा
जब तुम जैसा चांँद उसने ज़मीं पर उतारा होगा

बिखर सी गई होंगी शबनम की बूंदें भी उस रात
जब बागबाँ के हर गुल ने तुझपे दिल हारा होगा

जो कह दो लबों से तुम अपने "इश्क़ है तुमसे"
तो क्या ख़ूब मेरे हम-नशीं फ़िर वो नज़ारा होगा

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7 FEB 2023 AT 21:42

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30 JAN 2023 AT 21:53

ख़्वाब-दर-ख़्वाब जो देखा हक़ीक़त हो न जाए
मेरे दिन की, मेरी रातों की तू आदत हो न जाए

ख़ामोशी से भरी है, ये जादूगर निगाहें तुम्हारी
डर है मुझे कहीं तुम से मोहब्बत हो न जाए

होश हुए है गुम मेरे देख के तेरी ज़ुल्फ़ें घनेरी
ऐसे में कहीं मुझ से कोई शरारत हो न जाए

मुझसे दूरियों का सबब कहीं ऐसा न हो जाए
दिल ये मेरा किसी ग़ैर की अमानत हो न जाए

चले आओ वक्त रहते कहीं अंँधेरा न हो जाए
चांँद पर तेरे किसी और की हुकूमत हो न जाए

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26 JAN 2023 AT 23:43

कुछ इस क़दर ख़ास हो तुम मेरे लिए
दूर होकर भी पास हो तुम मेरे लिए...

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3 JAN 2023 AT 19:36

मेरी तन्हाइयों के नाम हसीं लम्हात कर दो
इस हयात को ख़ूबसूरत सी सौग़ात कर दो

मेरी साँसें भी खो जाये तेरी सांँसों में ही कहीं
निग़ाहों से अपनी कोई तो ऐसी बात कर दो

सुनो, मौन अधरों पर भी मचलता है इश्क़
चाहो तो इज़हार तुम आज की रात कर दो

बार-बार जताते हो "मेरी मोहब्बत हो तुम"
क़िस्सा मुख़्तसर कर इश्क़ की बरसात कर दो

जुदा होना भी तो मोहब्बत का ही हिस्सा है
रोक के वक्त को, बदले हुए हालात कर दो

नहीं तो इस सिलसिले को यहीं ख़त्म कर के
तुम इसे हमारी आख़िरी मुलाक़ात कर दो

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16 DEC 2022 AT 21:46

वो पल चाय, किताबें, इश्क़ और बे-क़रार तुम
उफ्फ़... ये हसीं ख़्वाब और मेरा इंतज़ार तुम

नैनों से बह रहे अविरल अश्कों की धार तुम
दिल में दबी बेताब तमन्नाओं का इज़हार तुम

मेरे ज़ेहन में ख़याल जिसका रहता दिन रैन
मेरी हयात, मेरा मुकद्दर, मेरा ए'तिबार तुम

यादों के सफ़र-नामें में अपनी ख़ुश्बू को बिखेरे
मेरे हर लम्हे को इत्र सा महकाते ख़ुश-गवार तुम

दिल के आईने में अक्स तेरा ही नज़र आता है
मेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल में शामिल हर बार तुम

तहरीर के हर मिसरे में, हर लफ़्ज़ में शुमार तुम
जिसे पढ़ के मैं आश्ना हो जाऊंँ वो अश'आर तुम

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7 NOV 2022 AT 15:14

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27 OCT 2022 AT 1:21

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