सर्दी की ये रातें, संग लाती है तेरे संग बिताई वो हसीन यादें, जिन रातों में चादरों की जगह तुझे ओढ़ा था, तेरी सांसों की गर्मी में खुद को खोया था, वो पल भी, जब तेरे मेरे दरम्या न बचा था कोई पर्दा, जब तू और मैं , हम हुए थे। इन्हीं सर्द रातों की स्याह रात के साए में तो हमारी रूहों ने बनाए थे अपने जिस्मानी रिश्ते।
चांद के साथ सफर करना है, उसकी खूबसूरती की तो मैं कायल नही, पर मुझे उस जैसे ही पूरी दुनिया को अपनी ही नजरो से देखना हैं उसी की तरह, रोज चलना हैं, रोज चमकना है, और कुछ दिनों के लिए दुनिया की नजरों से छुप के भी रहना, और सफर करते करते उसके संग मुझे भी एक दिन अपने आसमान का एक चांद बनना है।
जो नहीं मिला, उसी के पीछे क्यू, भागता मन मेरा, जो मिला है , उसे क्यू नही देखता मन मेरा, जानती हूं सब कि, हर चाह पूरी हो जाए, जरूरी नहीं, पर जो पूरी नही,उसी के बिना ही खुशी अधूरी क्यों है??
पहले बताना था न, कि तुमसे मुहब्बत इतनी महंगी पड़ेगी, तो वक्त रहते सम्भल जाते, अब तो हर पल हर लम्हा ही हम, तुम्हारी यादों में हैं, फिसल जाते, राते भी अब सपनों की जगह तुम्हारी यादो की सौगातें है लाती, जो नही हो सकता हमारे बीच अभी, उन्हीं ""सपनों से लम्हों"" की सोच में मुझे अकसर डूबो जाती।