आईना   (AMG pens)
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Joined 4 November 2016


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7 HOURS AGO

contemplating if you’ll ever get to
see the snow, the hills or the serenity,
you’ve always been hopeful for!

This isn’t about the hills or snow!
It’s about the life you wish to live.

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23 APR AT 22:17

……………

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21 APR AT 14:12

उसके ज़ख़्म रिस्ते हैं कुछ कुछ मुझ जैसे।

जब कहता है राज़-ए-दिल, लहू का खारापन
होठों पे मीठा ज़ायक़ा दे जाता है।

उसके मन का ख़ालीपन, मेरे दिल की
दरारों को भर जाता है।

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15 APR AT 19:04

मुद्दा ये नहीं कि अब याद नहीं आते वो
अब मुद्दा ये है कि दर्द क्यूँ नहीं होता?

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1 APR AT 15:53

रिश्तों में आई दरारों से अक्सर
ग़ुमान-ओ-नामोशी झाँकती हैं।

ईमान-ओ-एतबार के घर को अक्सर
बे-दिली की सीलन खा जाती है।

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31 MAR AT 21:58


उल्फत करके वीरानियों से
बदले में अंधेरा ही पाया है।

जब चीखें गूंजी ख़ाली दिल में,
बिन आवाज़ रोने का फ़न आया है।

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26 MAR AT 12:44

कुछ फ़ासले सवाल खड़े करते हैं,
कुछ फ़ासलों में जवाब होते हैं।

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16 MAR AT 19:16

ये दिल दर्द का सामां, किसलिए?
हाल-ए-दिल बे-बयान, किसलिए?

आखिरश भुला दिया गया उन्हें
फिर ज़िक्र-ए-राज़-ए-दास्तां किसलिए?

इक दोस्त तक सगा नहीं रहा मेरा
ए दुश्मनों मेहरबां किसलिए?

तोड़ कर यूं राब्ता वो दरमियान
हो बेकरार जान-ए-जां किसलिए?

चिथड़े उड़े हैं ज़िस्त-ओ-तक़दीर के
फिर सिलें ये ग़िरेबान किसलिए?

तू राज़दार है तो फिर सर-ए-पर्दा रख
भरी महफ़िल मोहब्बत बयॉं किसलिए?

जो मशहूर हुआ हूँ तो अब जाना है
लोग रखते हैं बंद दिल के मकां किसलिए?

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3 MAR AT 13:21

उसके होने से मौसम-ए-गुल-ओ-बहार,
वो न हो तो ख़िज़ा हर ओर छाए।

इक शक्स की क़ुर्बत और जुदाई में,
इस दिल के मौसम ने कई रंग दिखाए।

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1 FEB AT 11:16

In an overthinker’s paradise,
we can smell heartbreak, abandonment,
ghosting, longing from a mile away,
‘coz we know the taste of it all.

If you see an overthinker zoned out,
they’re taking a trip back to all those
experiences, and preparing themselves,
for the same journey ahead. *sigh*

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