बात करने से पहले, मुझसे मज़हब पूछते हो तुम भी कभी कभी सवाल ,क्या गज़ब पूछते हो अरे,बर्बाद किया है मैने ख़ुद को, किसी की मोहब्बत में मुझसे तुम मोहब्बत का सबब पूछते हो
लिख देता हूं दिल की बाते, मैं सोचता नही जाने वाले को 'अंकित',मैं कभी रोकता नही किसी की यादों से निकलना, आसान तो नही जो बह गए अश्क आंखों से, उन्हे मैं पोछता नही
निक्कमे दफ्तर में,सड़को पर मैंने काबिल देखे है मेरे अपनों में ही गद्दार,मैने शामिल देखे है और बताऊं 'अंकित',तुम्हे यकीन नही होगा मैने बड़े बड़े लोगो के, बहुत छोटे दिल देखे है
रास्ते का मुसाफ़िर, बेवजह ही शाख से पत्ते तोड़ जाता है चलते चलते साथी भी अपनी राह मोड़ जाता है जो अपना अपना कहते 'अंकित',उनको मैं क्या ही दोष दू जब अपना साया ही एक दिन साथ छोड़ जाता है