जैसे सर्दियों में रजाई सा मां का स्पर्श जैसे चिलचिलाती धूप में, ठंडी छांव सा मां का स्पर्श जैसे दुःख में सुख सा मां का स्पर्श जैसे कठिनाइयों से भरे जीवन में सुगम राह सा मां का स्पर्श जैसे ज़ख़्म में मरहम सा मां का स्पर्श जैसे दर्द में राहत सा
My brothers used to feed me with their hands, used to celebrate me with love, my every stubbornness was fulfilled. They used to feel my lack, wish those moments came back, happiness came on Rakshabandhan.
प्रेम क्या हैं..? प्रेम स्त्री का श्रृंगार,पुरुष का व्यवहार है। बच्चों का दिल जीतने का खिलौना,बूढ़ो का सुकून, जवानों का जुनून है। प्रेम निर्मल सी धारा,गंगा सा पवित्र विश्वास है। प्रेम पवित्र गांठ,दो अजनबियों का एहसास हैं। प्रेम इस धरा का वरदान है।