.......   (Naveen Verma)
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Joined 13 May 2021


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Joined 13 May 2021
12 AUG 2023 AT 22:01

कहते हैं मोहब्बत करने वालों का ईमान होता है , उनकी अपनी जमीन और अपना आसमान होता है .
वह नहीं डरते हैं जमाने की बदनामियों से ,
साठ की उम्र में सोलह सा दिल जवान होता हैं .

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14 APR 2023 AT 20:52

दिल की धड़कनों को दिखाया नहीं जाता ,
महफिल में उनका नाम गुनगुनाया नहीं जाता ..
यूं तो नहीं है उनसे जन्म का कोई रिश्ता ,
क्या बिना नाम के कोई रिश्ता निभाया नहीं जाता ..

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5 APR 2023 AT 11:07

हे श्याम मेरी नैया , भव से तू पार लगा .
बैठा हूं तेरे दर पर , अब तू ही राह दिखा ....

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4 APR 2023 AT 21:41

बड़ा मुश्किल है , ज़िंदगी में सब्र करना
जीते जी खुद को , क़ब्र कर ना .
कहां किसी को मिला है , दिलबरों का साथ
तुम भी उसी फेहरिस्त में हो , फखर करना !!

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18 MAR 2023 AT 14:20

जो पास नहीं है दिल को उसका गम सताता है .
दूर रहने वाला शख्स ही अक्सर याद आता है ..
साथ रहने वाले तो छोड़ देते हैं दामन अक्सर ,
और दूर रहकर भी कोई रिश्ता निभा जाता है...

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18 MAR 2023 AT 13:54

हर किसी को सुकून मिल जाए , जरूरी तो नहीं ,
हर राही को मंजिल मिल जाए , जरूरी तो नहीं .
बड़ा सुकून मिलता है , ज़ख्मो पर मरहम से ,
हर जख्म को मरहम मिल जाए , जरूरी तो नहीं ....

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7 MAR 2023 AT 13:15

अब वो पहले से जज्बात क्यों नहीं होते ,
वह पहले से दिन और रात क्यों नहीं होते .
सब कुछ तो वही है इस जहां में ,
क्यों अब मेरे हाथों में तुम्हारे हाथ नहीं होते....

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3 MAR 2023 AT 18:01

सारे दिन का थका हारा बाप जब घर जाता होगा ,
पैसे ना होने की लाचारी को कैसे छुपाता होगा .
घर की दहलीज पर ही जब खड़ी मिलती होगी बेटी,
पैसे ना होने पर कैसे नजर उनसे मिल आता होगा .
पत्नी जब टटोलती है उसके खाली थैले को ,
मन मसोसकर क्या सोच कर कोई
जवाब ना उसकी बातों का दे पाता होगा .
बेटी को फिर "आज भूल गया" झूठ बोलकर ,
उसके बाल मन को कैसे-कैसे समझाता होगा .
अपनी आंखों की नमी को अंदर ही अंदर ,
कैसे उसके सामने मुस्कुराकर रोक पाता होगा .
दिनभर की डांट और झिड़कने खाकर भी ,
अपने बेटी के मन को बहलाता होगा .
हे प्रभु बस इतनी विनती है आपसे
किसी बाप को इतना लाचार ना बनाना ,
कि उसे ना पड़े अपने ही घर में मुंह छिपाना .....

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1 MAR 2023 AT 17:24

क्या कभी ऐसा हो पाएगा कि मैं तुम्हें अपने लिखे हुए भाव , जो हर पल मैंने तुम्हें महसूस कर कर बिताए हैं. और बड़ी मुश्किल से मैंने शब्दों की लड़ियों में पिरोया है .
बता पाऊंगा या यह ऐसे ही वक्त के साथ धूमिल हो जाएंगे ........

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28 FEB 2023 AT 12:48

तुम आए मेरे शहर में मेहमान बन कर ,
और रूह में उतर गए मेहरबान बन कर ..
आते हैं हम कभी कभी तेरे इस शहर में ,
गुजरते हैं तेरी चौखट से अनजान बन कर ...
उठा लाते हैं मिट्टी तेरे चौराहे से यह सोच कर
चूमती होगी आपके कदम बार-बार रोक कर....

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