सारे दिन का थका हारा बाप जब घर जाता होगा ,
पैसे ना होने की लाचारी को कैसे छुपाता होगा .
घर की दहलीज पर ही जब खड़ी मिलती होगी बेटी,
पैसे ना होने पर कैसे नजर उनसे मिल आता होगा .
पत्नी जब टटोलती है उसके खाली थैले को ,
मन मसोसकर क्या सोच कर कोई
जवाब ना उसकी बातों का दे पाता होगा .
बेटी को फिर "आज भूल गया" झूठ बोलकर ,
उसके बाल मन को कैसे-कैसे समझाता होगा .
अपनी आंखों की नमी को अंदर ही अंदर ,
कैसे उसके सामने मुस्कुराकर रोक पाता होगा .
दिनभर की डांट और झिड़कने खाकर भी ,
अपने बेटी के मन को बहलाता होगा .
हे प्रभु बस इतनी विनती है आपसे
किसी बाप को इतना लाचार ना बनाना ,
कि उसे ना पड़े अपने ही घर में मुंह छिपाना .....
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