सच बताना,तुम भी दिन रात सोचते हो वही?
आरज़ू है उसकी जो पूरा ना हो पायेगा कभी
सुनो! पागलपन ही है उन्हें याद करना
रो रो कर रोज चार आँसू बरबाद करना
क्या कहा? तुमने वो कबीर सिंह देखा है
वो मूवी है पगले climax जो चाहो होता है
क्या मिलेगा तुम्हें उस पर दिल हार कर
अपने दिल को तू इस तरह न लाचार कर
ग़म में डूबकर इसके टुकड़े ना हज़ार कर
इतनी ही शिद्दत से कभी ख़ुद से प्यार कर
तुम्हें ना मिलेगा कभी तुम जैसा आशिक़
वफ़ा मिलेगा हो जाओ इस बात से वाकिफ
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