QUOTES ON #HINDI

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14 JUN 2017 AT 19:02

अच्छा हे की रिश्तो का कब्रिस्तान नहीं होता,
वरना जमीन कम पड़ जाती|

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30 OCT 2019 AT 16:43

दूसरों की बुराइयां तो बहुत निकालते हो तुम ,
चलो आज अपनी अच्छाइयां भी गिनवा दो ।

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11 MAY 2020 AT 22:14

देह_प्रेम
(Caption में पढ़े )

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21 JUN 2020 AT 8:23

कड़ी धूप में हैं बिल्कुल, ठंडी छाँव की तरह
शहर सी ये ज़िंदगी, हैं वालिद गाँव की तरह

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20 AUG 2018 AT 16:44

पल दो पल आकर मेरे संग बिताना तुम
हो सके तो इस बरसात ठहर जाना तुम

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3 APR 2021 AT 21:41

ग़ज़ल:

कुछ भी तेरे बाद नहीं है,
ये तक तुझको याद नहीं हैं

इश्क़ मकाँ है गिरने वाला,
जज़्बे की बुनियाद नहीं है,

तेरा होना हक़ है मेरा,
ये कोई फ़रियाद नहीं है,

दिल जंगल तो बंजर है अब,
गोशा इक आबाद नहीं है,

एक जहाँ में कितनी खुशियाँ,
लेकिन कोई शाद नहीं है,

शेर कहा करता था मैं भी,
पर अब कुछ भी याद नहीं है,

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31 MAY 2021 AT 15:34

हमीं में शायद है ऐब कोई,
कि यार अब घटते जा रहे हैं
चला किए थे जो चार साये
वो चार अब घटते जा रहे हैं

(More in caption)

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27 DEC 2020 AT 20:37

नसीहत गिरते पत्थरो को रुकने की, मूर्ख ही देता है,
बारिश की बूंदों को भी अपने अंजाम का पता होता है।

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स्वेटर की तरह बुना था जो रिश्ता
कहीं उसका धागा एक छूटा हुआ है

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14 APR 2020 AT 14:21

" मज़दूर...... "
रोटी की जंग में ख़ुद को हार रहा हूँ,
मैं मज़दूर हूँ साहब,
क्या इसी की सज़ा अब काट रहा हूँ,

थोड़े से चावल दाल में परिवार पाल रहा हूँ,
घंटों धूप में ख़ून अपना,
सिर्फ़ जीने भर के लिए उबाल रहा हूँ,
दुनिया तो रुक गई सबकों ये बता रहा हूँ,
भूख के शहर हर रोज़ मगर,
मैं उम्मीद में मीलों चलता जा रहा हूँ,

मैं वाकई क्या किसी को नज़र आ रहा हूँ,
सब बोल तो रहे है हफ़्तों से,
जहाँ हो वहाँ ठहरो "मैं" आ रहा हूँ,
रोने की आदत है मुझें ये भी मान रहा हूँ,
पर राशन की लाइनों में भी,
वो कहते हैं रुको, "मैं" पहचान रहा हूँ,

मैं आपकी बातों से अपनी हालात जान रहा हूँ,
साँसे उखड़ने लगी अब मेरी भी,
आज तीसरा दिन हैं अब तो सिर्फ़ पानी माँग रहा हूँ,
रोटी की जंग में ख़ुद को हार रहा हूँ,
मैं मजदूर हूँ साहब,
क्या इसी की सज़ा अब काट रहा हूँ....!!

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