Supriya Mishra   (Whitebird)
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Joined 29 October 2016


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15 MAY AT 20:36

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8 MAY AT 7:47

कभी कभी आता था मेरे कमरे में
कभी कभी वो दूर से देखा करता था
मैं भी उसके इश्क में इतनी पागल थी
शाम ढले से अपनी खिड़की पे आकर
उसको सारी रात निहारा करती थी
उम्र भी मेरी क्या थी मानो सोलह हो
उसपे भी ये इश्क मेरा तो पहला था

(Read more in caption)

_सुप्रिया मिश्रा

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25 DEC 2023 AT 1:06

2003 में पहली बार हमने क्रिसमस मनाया था। पापा को शायद ऑफिस में पता चला होगा कि क्रिसमस जैसी भी कोई चीज़ होती है।

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

सुप्रिया मिश्रा

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19 DEC 2023 AT 22:13


मैं रूठ कर कभी इतनी दूर नहीं गई
कि तुम मुझे ढूंढ न पाओ।

पुरी कविता अनुशीर्षक में

- सुप्रिया मिश्रा

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10 DEC 2023 AT 21:19

मां - बाप को खोने का डर
(कैप्शन में पढ़ें)

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8 DEC 2023 AT 22:02

मान लूंगा मैं खुदा की भी गणित कमज़ोर थी
जोड़ना मुझको कहां था मैं कहां जोड़ा गया

सुप्रिया मिश्रा

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5 DEC 2023 AT 13:28

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21 NOV 2023 AT 14:40

ब्याही हुई लड़कियां
पालतू लैब्राडोर सी होती हैं
वो थोड़ा ज़्यादा अपनापन खोजती है।
लोगों को ज़्यादा अपना समझती है
बहुत ज़्यादा खुश होती हैं
बहुत ज़्यादा रोती है
वो सभी से प्रेम करती हैं
सभी का प्रेम चाहती है।
बहुत कुछ कह नहीं पाती
कुछ कुछ कहने की कोशिश करती है।
वो भागती ज़्यादा हैं, हांफती ज़्यादा है
यादों की मिट्टि कुरेदने में उन्हें आनंद आता है
वो लोगों के मन को सूंघ लेती है।
दिन भर की तन्हाई के बाद
उन्हें एक गरमा गर्म आलिंगन का इंतज़ार रहता है
वो गलतियां कर के
मुंह किसी मासूम बच्चे सा बनाती है
उन्हें चाहने वाले सब होते हैं
समझने वाले कम।
लड़कियां लैब्राडोर सी होती हैं
उन्हें लीश में नहीं बांधना चाहिए।

- सुप्रिया मिश्रा

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21 OCT 2023 AT 17:24

जब समाज ने अपनी परतें खोली तो समझ आया कि ये लोग तो कठपुतलियाँ है। तमाशा दिखाने वाला ये समाज। लिखने वाला समय।
गलती पूरी तरह किसी की नहीं, सुधारा पूरी तरह किसी को नहीं जा सकता।

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9 OCT 2022 AT 12:25

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