एक दूरी अधूरी।
खुद में था लापता, फिर मुझे तेरा पता मिला,
मैं औंधा सा था, इश्क़ पौधा बन, फ़ूल खिला।
मेरी जुल्फों में जो उस खुश्बू को आपने सजाया,
माँग में सिन्दूर जैसा, सुरूर अंदर मेरे रिझाया।
इतना नहीं मालूम हां तुझमें मेरा कुछ रह गया,
पुराना हो तो याद आए हर किस्सा होता है नया।
साथ गुजारी रातें कई, हमारे संग सोया उजाला,
मुलाकातें वारदातें संगम मिलन का सिलसिला।
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