Suhas Kamble SK   (सुहास कांबळे | suhask247)
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सर्वस्व @Niyati S K. ❣️
Joined 7 July 2020


सर्वस्व @Niyati S K. ❣️
Joined 7 July 2020
17 MAY AT 16:01

नफ़रत में डुबाया मुझे नशे और गम ने,
एक दिन वह मेरी बन उम्मीद आते है।
कुछ इस कदर उनसे मुहब्बत की हमने,
ज़हर की दुकान से दवा ख़रीद लाते है।

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15 MAY AT 3:18

एक रात मुलाकात।

हसरतों का सिलसिला होने लगे तुम,
हरकतों में आप शामिल हम हुए गुम।

इकरार को दे करार एक नज़र मिला,
मैं तेरी प्यास हूं, दीदार-ए-जाम पीला।

दूर होकर पास रहें- मेरे सुहास गुमसुम,
चूर थी मैं नींद संग सपने को लिया चूम।

नियति देखो याद करो रात-ए-सिलसिला।
ख़्वाब नहीं एक-जिस्म थे फिर दिल मिला।

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23 APR AT 3:01

वक्त हकीकत।

हर बात याद में बाकी हो तुम,
था सब हैं मगर, मैं रहता गुम।

आज नहीं यह बनी मेरी बोली,
यादाश्त की सारी परते खोली।

तेरे आने से पहले भी ढूंढा तुझे,
मिल जाने पे तेरे, मैं मिला मुझे।

तुम मैं हम होकर, गुम हो जाएंगे,
बीते से जीते कल में मिल पाएंगे।

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17 APR AT 1:59

राजी और नाराजी।

दोजख मेरे अंदर समाया था कभी,
जन्नत बने तुम, मिटे पाप मेरे सभी।

खामोशी याद और गुस्सा फरियाद,
आपसे ही आबाद आप संग आज़ाद।

रूठना नहीं जान सीखा हूं जीना अभी,
तुम ही थी जिंदगानी आज हो कल भी।

जिंदगी मैं तो, आप निभाना सीखो साथ,
सिर्फ कहने से ना कटे है दिन ना हो रात।

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14 APR AT 3:17

एक दूरी अधूरी।

खुद में था लापता, फिर मुझे तेरा पता मिला,
मैं औंधा सा था, इश्क़ पौधा बन, फ़ूल खिला।

मेरी जुल्फों में जो उस खुश्बू को आपने सजाया,
माँग में सिन्दूर जैसा, सुरूर अंदर मेरे रिझाया।

इतना नहीं मालूम हां तुझमें मेरा कुछ रह गया,
पुराना हो तो याद आए हर किस्सा होता है नया।

साथ गुजारी रातें कई, हमारे संग सोया उजाला,
मुलाकातें वारदातें संगम मिलन का सिलसिला।

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9 APR AT 2:39

एक घर अंदर।

तुम नहीं हो साथ, ना गुजरे रात,
दिन भी ना बने, ना मन-ए-बात।

आपके संग ही मेरा मन रंग बन रहे,
ओंठो से कुछ कहें, कुछ आँखें यह बहे।

तड़प पर तरस खाकर समझ जज़्बात,
बता सनम कब तलक होगी मुलाकात?

जुल्फों लबों सीने में अंदर आप समाए है,
सोते जागते रोते रास्ते, घर दिल बनाए है।

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27 MAR AT 1:47

एक छाव लगाव।

मैं बेनाम समंदर अकेला पहराव,
तुम मीठी झील सा कोई ठहराव।

मायने जिन्दगी के आप होने लगे,
ये सांसें महसूस हुई जब संग जगे।

तुम मेरे साथ जैसे धूप में हो छाव,
बाहों में हो बाहें, बढ़ता रहे लगाव।

उफ़❣️ आपकी बाते याद दिलाए रातें-
जो हम गुजारे और होती हैं मुलाकाते।

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24 MAR AT 2:13

ज़मा और समा।

लत तुम्हारी, दौलत की कहां,
दुनिया मैं तेरी, तुम मेरा जहां।

आप की चाह लेकर, राह देखना,
हर वक्त परवाह का प्रवाह रखना।

फिक्र तुम मेरी सलाह भी दिलरुबा,
तुम मेरी जिद्द हो मैं तुम्हारा मनसूबा।

यह जमाना अनोखा हमे लेगा आजमा,
मैं बारिश बनूं , आप होना मेरा आसमां।

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21 MAR AT 10:11

दिल शामिल।

जब तेरी भीगी यादें मुझसे बरसे,
तब गहरी प्यासी वे निगाहें तरसे।

मुलाकात के बहाने, तुम्हें चूमा करे,
तो शर्माए तुम, हुए मेरी रूह सावरे।

मोहब्बत-ए-अमानत बनना मेरी ऐसे,
तेरी धड़कन संग सांस मेरी चले जैसे।

आप ही धड़कन आप ही सांस हो मेरे,
हर चीज़ हो अज़ीज जिसमे आप ठहरे।

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19 MAR AT 2:24

आदत और इजाज़त।

तुम एक शाम, मेरा जाम बनना-
हर काम, अंजाम और एक पन्ना।

आपके बगैर मैंने नहीं लम्हा गिना,
पल-पल पलकों पर मैं संग थी ना?

अकेले नहीं, आपके साथ है चलना,
जो कहें कुबूल होगा मना ना करना।

पढ़ना मुझे तुम मगर मेरे लिखे बिना,
झरना-ए-जिन्दगी बन संग मेरे जीना।

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