करवटें, सिलवटें,
रतजगे नैन
नयनों में ढेरों बैन
तिलस्मी सी तलुवों से
झांकती हरारत
छूकर गुजरी सी
गुमशुदा शरारत
चलो कुछ देर और सही बात...
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जिंदगी फिसल गई
हादसा दर हादसा
उम्र कब निकल गई
मन का हंसा
छोड़ चलेगा
बीच भंवर
इक दिन मंझधार
तब तक जीवन
जी लो खुलकर
बांटों खुशियाँ
और दो प्यार-
मैं
दुखी तो सदैव
दूसरों संग समानुभूति वाला
होता है। आपकी मर्जी शैतान बनो
या इंसान......! — % &-
एक जीस्त में सौ मुकाम करने हैं
गम हो या खुशी सरेआम करने हैं
छोड़ दे उनको जो हैं गाफिल प्रीत
बढ़ा चल बहुत अभी काम करने हैं-
You can adore yourself but not your Intelligence quotient..
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I started demand for more from life when I saw heights are gloomy and tensed...
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ज़िन्दगी वो किताब है
जिसमें हैं बेहिसाब गुल्म
ग़ज़ल जो ढूंढ लेता है
बस वही है सुखनवर-
मेरा विश्वास है कि
तुम जीत लोगे जग
बिखर कर भी करोगे
इस धरा को और उर्वर
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धूप उतरती है पेड़ों से
चाँदनी बन कर
जैसे उतरा हो कोई आँगन में
रागिनी बन कर
हर कतरा है शबनम सा
शफ्फाक ऐ दोस्त
जैसे ठहरी हो शफ़क़ द्वारे
रातरानी बन कर-
मेरी ख़लाओं में
संझा सी मुस्कुराती
आई रुनझुन कर
किलकती महकती
बजती झुनझुने सी
वो...
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