मै कभी न आया तुम्हारे पास प्यार के लिए क्यों कि प्यार ने कभी मजबूर न किया प्यार न कभी बेचैन हुआ न कभी आहत हुआ न कभी डिगा न कभी गिरा प्यार स्वार्थी और अंधा नहीं है उसे आता है तुम्हारे बिना भी तुम्हारे साथ रहना तुम्हारा हो जाना तुम्हे अपना बना लेना मै जब भी आया तुम्हारे पास सिर्फ़ जरूरतों के लिए जरूरतें बहुत स्वार्थी और बेचैन होती हैं जो तुम्हारे बिना भी नहीं रह पातीं और तुम्हारे साथ भी नहीं रह पातीं वह मुझे भी आहत करती हैं और तुम्हे भी जब ये जरूरतें खत्म हो जाती हैं तो प्यार का खुला आकाश बचा रह जाता है जो तुम्हारे साथ भी है तुम्हारे बाद भी ।