धरा सिंह   (निर्झर 💦)
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Joined 31 May 2019


Joined 31 May 2019

न जाने क्यूँ ज़िन्दगी भी
पूरा नहीं खाती
छोड़ जाती है
जख्म
लोगों के नोचने
के लिए..

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31 MAR AT 13:41

दिल जीतते हैं शब्द आपके
अपने से लगते हैं शब्द आपके

गहन लिखें तो दिल में उतर जाते हैं
ऐसी कलम आप कहां से लाते हैं

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30 MAR AT 8:04

साल दर साल गुजरते देखा
अश्क आँखों से छलकते देखा

गुल सारे खार में बदल गए अब तो
खार को बेवजह महकते देखा

सच दे रहा झूठ की गवाही
ऐसी सियासत को पनपते देखा

न्याय कर रहा अन्याय की तरफदारी
अदालत को भी निर्झर राह बदलते देखा..

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18 MAR AT 22:35

कुछ उदास फूलों को देखा मुस्कराते हुए
अपने अंदर गम को छुपाते हुए

ठहरा तो कुछ भी नहीं इस जहान में
सबको देखा एक-दूसरे के कंधे पर जाते हुए

गरीबी पर ही है पाबंदियां तमाम
अमीरी को देखा है बेलिबास इतराते हुए

ईमान की कीमत अब कुछ नहीं यहाँ
बेईमानी को देखा निर्झर जड़ें जमाते हुए

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15 MAR AT 13:53

झूठी हमदर्दियाँ और झूठा प्यार देखा है
इंसानियत का कत्ल होते सौ बार देखा है

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12 MAR AT 18:42

लिखते हैं शब्द भावस्पर्शी औ गहन
आपकी लेखनी को धरा का नमन

निःशब्द कर देते हैं शब्द आपके
दिल में उतर जाते हैं भाव आपके

आए न कभी दुख आपके पास
धरा भवानी माँ से करती ये अरदास..

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12 MAR AT 13:32

मैं बो देती हूं शब्दों के बीज
भावनाओं की फुहार से निकल आयेंगे
नन्हे पौधे
हो सके तो बचा लेना
बंजर होती धरती
खत्म होता जल
और उनसे झरते
दरार पड़ते रिश्तों को.
मासूमों के सपनों को
मैने शब्दों के बीज..
बो दिए हैं इसी आस में.

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2 MAR AT 19:28

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दीदू...🙏🎂🍰

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28 FEB AT 7:31

जो गुजारी..

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24 FEB AT 20:22

अतीत के पन्ने
कोरे
इस खयाल से
मैने छोड़े
ज़िन्दगी का
तजुर्बा होगा
तो लिखूँगी
अपनी अधूरी
ख्वाहिश
और शायरी..

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