अंजू शर्मा   (पोस्टर : अंजू शर्मा)
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A story teller, freelance writer, poet
Joined 5 October 2016


A story teller, freelance writer, poet
Joined 5 October 2016
12 JUN 2022 AT 22:27

कविता में कला की उपस्थिति को आप नकार नहीं सकते पर केवल कला ही कविता नहीं है। खुरदुरे यथार्थ को ठोक पीटकर सांद्र-तरल बनाने की कला है कविता वरना सब जानते हैं कि आकाश का रंग नीला है। ये कविता की सलाहियत है जो उस नीले आकाश को गरीब के सर की छत बताती है। और वही नई कविता है।

-अंजू शर्मा

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27 OCT 2020 AT 8:01

एक लड़की सोती है


एक लड़की सोती है
गोया हो वह किसी के ख़्वाबों में

एक औरत सोती है ऐसे
गोया कल ही छिड़ने वाली हो कोई जंग

और उम्रदराज औरत तो सोती हैं यूँ
मानो काफ़ी हो पड़े रहना मौत का बहाना बनाए

कि मौत गुज़र जाए शायद
उसकी नींद की सरहदों को छूते हुए

-- वेरा पावलोवा
अनुवाद : मनोज पटेल

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11 OCT 2020 AT 0:09

आँख भर नींद

रात
सबके पास है
लेकिन नहीं है
सबके पास
आँख भर नींद

✍️सत्येंद्र प्रसाद श्रीवास्तव

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6 OCT 2020 AT 8:08

मेरे शब्द

जब मिट्टी थे मेरे शब्द
मेरी दोस्ती थी गेहूँ की बालियों से
जब क्रोध थे मेरे शब्द
ज़ंजीरों से दोस्ती थी मेरी
जब पत्थर थे मेरे शब्द
मैं लहरों का दोस्त हुआ
जब विद्रोही हुए मेरे शब्द
भूचालों से दोस्ती हुई मेरी
जब कड़वे सेब बने मेरे शब्द
मैं आशावादियों का दोस्त हुआ
पर जब शहद बन गए मेरे शब्द
मक्खियों ने मेरे होंठ घेर लिए।

---महमूद दरवेश

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16 JUL 2020 AT 8:59

मैं नहीं हूँ कृतघ्न मुझे तुम शाप न देना!
मैं असाढ़ का पहला बादल
शताब्दियों के अंतराल में घूम रहा हूँ।
बार-बार सूखी धरती का रूखा मस्तक चूम रहा हूँ।

---श्रीकांत वर्मा

(भटका मेघ)

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27 JUN 2020 AT 18:39

ओ सुनो रंग-वर्षी बादल,
ओ सुनो गंध-वर्षी बादल,
हम अधजनमे धानों के बच्चे
तुम्हें माँगते हैं...

---केदारनाथ सिंह

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2 JUN 2020 AT 18:22

मैं साँस नहीं ले पा रहा हूँ

वह न रोया
न गिड़गिड़ाया
न दया की भीख मांगी

बस एक सच को
अपने समय
और समाज के सत्य को
तथ्य की तरह रखा

साँस टूटने के पहले की
आखिरी आवाज़ थी
'मैं साँस नहीं ले पा रहा हूँ '!

-मदन कश्यप

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29 MAY 2020 AT 22:10

जिन्होंने सजाये यहाँ मेले
सुख-दुःख संग संग झेले
वही चुनकर ख़ामोशी
यूँ चले जाए अकेले कहाँ...

अलविदा योगेश साहब 🙏

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8 MAY 2020 AT 15:08

शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो
कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता

---अमीर मीनाई

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3 APR 2020 AT 23:02



"कुछ ऐसी यंत्रणाएँ हैं जिनके व्याकरण को केवल वे समझ सकते हैं जो उन्हें भुगतते हैं, दूसरों के लिये वह अज्ञात लिपि है।"

--- निर्मल वर्मा

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