बादल बरस भी जाये, फिर भी सावन नहीं होता..बचपन कँहा लिखूँ मैं, घर में आँगन नहीं होता.. -
बादल बरस भी जाये, फिर भी सावन नहीं होता..बचपन कँहा लिखूँ मैं, घर में आँगन नहीं होता..
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