जब भी मेरी नजर आईने में पड़ती थी,चेहरा मेरा होता हँसी उसकी दिखती थी,इसको इश्क़ नहीं तो और क्या कहूँ,खुद में उसकी सूरत मुझे दिखती थी.. - © योगेश शर्मा
जब भी मेरी नजर आईने में पड़ती थी,चेहरा मेरा होता हँसी उसकी दिखती थी,इसको इश्क़ नहीं तो और क्या कहूँ,खुद में उसकी सूरत मुझे दिखती थी..
- © योगेश शर्मा