मेरा मयार नहीं मिलता, मैं आवारा नहीं फिरता।
मुझे सोचकर खोना, मैं दोबारा नहीं मिलता।।🙏🏻-
#Diary_Writer
तेरी मुश्किल न बढ़ाऊंगा चला जाऊंगा,
अश्क आंखों में छुपाऊंगा चला जाऊंगा।
अपनी दहलीज पे कुछ देर पड़ा रहने दे,
जैसे ही होश में आऊंगा चला जाऊंगा।।-
कर के बर्बाद ज़िंदगी किसी मां के लाल की...
वो अपने बाप की इज्ज़तदार बेटी बन गई...!-
स्त्री तनख़्वाह वाले पुरुष में प्रेम तलाशती रही,
और प्रेमी पागलखाने में होश खोए बैठा रहा।-
'इंतज़ार' एक मानसिक 'कष्ट' है...
किसी के 'मैसेज' का,
किसी के 'लौट' आने का,
'नींद' का या 'मौत' का.....-
सुनो!
हां तुम!!
ये तन्हाइयाँ ही हैं जिसमें हम अक्सर,
तुम्हें ही जिया करते हैं ....
कभी मुस्कुराकर तो कभी दुआ पढ़कर,
बस तुम्हें बस तुम्हें ही जिया करते हैं .....
लग जाते हैं ख्यालों में तुम्हारे सीने से,
तो कभी कंधे पर सर रखकर सुकून पा लेते हैं,
कभी खामोश तो कभी गुनगुना कर हम
अपना हाल तुम्हें बता दिया करते .....
कभी कागज पर कलम से तुम्हारा नाम लिखते हैं,
तो कभी खामोशी से मिलन की आस लिखते है,
हो ना जुदा तुमसे हम,
बस ख़ुद से ये फरियाद करते है ....
-
जिनका प्रेम 'विफल' होता है,
वो 'प्यार' करना नहीं छोड़ते,
बस 'दिखाना' बंद कर देते हैं।-
प्रिय पंडिताइन ❤️
लौट आना जब मन हो✍️...
वो आखिरी मुलाकात……..मुझे आज भी याद है…..तुम मुझसे कुछ कहना चाहती थी पर तुम कह ना सकी…कहना तो मुझे भी बहुत कुछ था पर शुरुआत मैं तुमसे चाहता था…..मुझे क्या पता था कि यह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित होगी और एक ऐसा जख्म देकर जाएगी जो मुझे जिंदगी के हर मोड़ पर खुद को तन्हा महसूस करने के लिए मजबूर कर देगी…..तुम्हे ना पाने कि कसक आज भी मेरे दिल में एक बुरे ख्वाब की तरह कहीं ना कहीं जिंदा है…
एक तरफा इंतजार की सारी घड़ियां मुझे हर पल खुद में खोने को मजबूर करती जा रही है…
ख्वाब सा था साथ तुम्हारा,और ख्वाब ही बनकर रह गया…...तुम्हे खोना मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी..तुम्हे भूल जाने का खयाल ही मेरे अपने अस्तित्व के भूलने जैसा है..
तुम तो चली गई लेकिन तुम्हारे साथ बिताए हुए वो लम्हें वो स्मृतियां आज भी मेरे जीने की वजह बनकर कहीं ना कहीं मेरे अंदर जीवित हैं..….तुम्हारी यादों को बिसरा देना खुद को खोने जैसा है,और तुम्हे पाने की आस एक कोरी कल्पना से ज्यादा भी कुछ नहीं….. इस जनम में तुम्हे पाने का मेरा ख्वाब सिर्फ ख्वाब बनकर रह गया…..
आज भी तेरे वापिस लौटने के झूठे ख्वाबों के साथ जी रहे हैं
तुम सिर्फ एक नाम बनकर रह गई हो मेरे लिए…….….....…
प्रिय पंडिताईन💌 ✍️-
प्रिय पंडिताइन ❤️
लौट आना जब मन हो✍️...
होती है मुझे भी तकलीफ..जब यह सोचता हूं कि तुम ना कभी मेरी थी..और ना कभी होगी...
सुनो..बहुत याद आती है तुम्हारी…
सब कुछ है जिंदगी में पर फिर भी कुछ कमी सी है..
तुम्हारे बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है....वो अथाह खालीपन.... जिस अधूरेपन को इस जनम में तो शायद कभी भी पूरा ना किया जा सके..
मैं अपने शरीर से नियंत्रण खोने लगा हूं..
एक घोर सन्नाटा मुझे अपनी आगोश में लेता चला जा रहा है एक शून्य मस्तिष्क को जकड़ते चला जा रहा है….....और इन्हीं सन्नाटों के बीच अचानक से बेहद शांत…...और फिर एक गहरा मौन……..
हमारा मिलना महज एक इत्तेफाक था लेकिन तुम्हारा मेरी जिंदगी में होना मेरी परिपूर्णता साबित करता है...
तुम तो अब मिलोगी नहीं..…..तुम्हे पाने के सारे भरम धीरे धीरे छूटते जा रहा है..
बेइंतहा इंतजार की सारी हदें पार हो चुकी हैं……और करे भी तो कब तक?
अब तुम्हे पाना सिर्फ और सिर्फ एक ख्वाब बनकर रह गया है मेरे लिए….....
एक ऐसा ख्वाब जिसके सच होने की अब थोड़ी–सी भी उम्मीद ना बची हो.......-