देखा सुना थोड़ा जाना पहचाना लग रहा है
नया कुछ नहीं लग रहा सब पुराना लग रहा है
हालात अब बद से बदतर हो रहे है
यहां लाशों का ढेर रोज़ाना लग रहा है
अब हुक्मरानों के सर से पसीना टपकने लगा है
सिर्फ दो लोगों को सब बचकाना लग रहा है
शायद हम सफ़ा मौसम के लायक ही नहीं है
वगरना क्या है कि इक ज़माना लग रहा है
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