20 APR 2018 AT 22:27

वो पागलपन सा कुछ दिल नरम सा
ये कैसा ख्याल आया
सूखे सूखे से नैना फिर भी
लबों पे मुस्कुराती चंचल सी मैना
लाखों सवाल लिये मन में फिर भी
कयूं तुम से कुछ न कहना
जवाब में कैसे क्या मिलेगा
ये सोच कर ही मन घबराया

वो पागलपन सा कुछ दिल नरम सा
ये कैसा ख्याल आया
ये हवा की सरसराहट
जाने कानों में क्यों चुभती हैं
एक शातं, एकातं कोने को
अब ये सासें तरसती हैं
जब भी पूछा हमने अपने अक्स से
आखिर तु क्यूँ दुखी रहता है
झुंझला के आँखें दिखा के
अब तो आईना भी धुधंलाया
वो पागलपन सा कुछ दिल नरम सा
जाने ये कैसा ख्याल आया






- Yogendra Katiyar