Roli Abhilasha   (अभिलाषा)
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Joined 16 May 2017


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Joined 16 May 2017
12 APR AT 12:01

प्रेम की उमंग ऐसे
विस्मयादि बोध जैसे
माह माह फाग चढ़े
यदाचरित शील बढ़े
प्रेम विरह अतिशयोक्ति
क्षार की प्रक्षेप युक्ति
भीजे प्रेम कामरी
प्रेम न हो परित्यक्ति

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8 APR AT 15:54

क्या तुमने दुःख आर्डर किया था,

नहीं न?

फिर रिसीव क्यों करते हो?

मुँह फेरो दुःख की प्लेट से

मत सोचो किसके हिस्से जाएगा.

वो भुगते जिसने यह रेसिपी बनायी.

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11 FEB AT 23:00

दो तिनके भले ही दो अलग-अलग किनारों से नदी में गिरें पर बहाव में बहते एक ही ओर हैं. बहते-बहते कब एक दूसरे के साथ आ जाते हैं, नहीं जान पाते. भले ही उनका प्रयोजन यह नहीं था पर नियति तो यही थी.
प्रयोज्य बनो, दृष्टा नहीं!

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25 JAN AT 20:35

तुम्हारा लिखा हुआ पढ़ना
जैसे स्फटिक की बिखरी हुई माला के
मणि चुनना

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1 JAN AT 19:27

मैं
तुम्हें
"तुमको छोड़कर जाने का"
उपहार देकर जा रही हूँ

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25 DEC 2023 AT 11:43

मेरी 'हाँ' अगर एक ज़िद रही
तो 'न' भी मेरा अडिग रहा— % &जाने 24 का सूरत-ए-हाल क्या होगा— % &

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18 DEC 2023 AT 20:22

सुर्ख आँखों वाली
नज़ले ज़ुकाम सी लड़की
बारिश में भीगी
हमाम सी लड़की

किमखाब के परों की
आफ़ताब सी लड़की
झनक नरगिसी
शीत में ज़ुराब सी लड़की

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12 DEC 2023 AT 12:25

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15 NOV 2023 AT 23:59

कोई पहाड़ पिघलकर
समंदर होता है भला?
हम भी नहीं चाहते
कि ये गुरुर झुके
पिघले!

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20 MAY 2023 AT 21:18

Close to you
more closer to you
closed the door
closed the way

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